पृष्ठ:आलम-केलि.djvu/११३

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पालम केलि T " उससि उसाँसन सो पाँसुरी है न्यारी आई, वीच पोच अँसुवनि आँखि भर लीनी है ।। विरह के वीज-पये सलिल सो सोचि दये, - - आछी भूमि मानो कामकाछी क्यारी कोनी है।२२७॥' कंचन में आँच गई चनी चिनगारी भई, . भूषन भये हैं सब दूपन उतारि लै पालम विदेस ऐसी चैस मैन आगि लागे, : जागि जागि 'उठ हियो यिरह ययारि लें। अय कतं पर घर माँगन है जाति आगि, आँगन में चाँदु चिनगारी'चारि झारिलै। साँझ भई भौन सँझवाती क्यो न देति है री, । छाती सो छुवाय दिया याती आनि वारि लै ॥२२॥ जब ते गोपाल मधुवन को सिधारे माई, मधुवन भयो मधु दानव विषम सों। 'सेस' कह सारिका सिपंडी पंडरीच मुक,. __मिलि के कलेस कीन्हो' कालिन्दी कदम सो।। जामिनी घरन यह जामिनोयो जाम जाम, वधिये को जुवति जनाये टेरि जम साँ। १-कामी एक जाति विशेष जो तरफारी शाक इत्यादि की गोती फरती है। २-समवाती देना=चिराग जलाना। ३--जामिनी = जमराज का दुतो ( मौत)