बालम फेलिम
{ २७६. ]
नयला व नेह,नयीन सखी-निनः,सो सकुचे मुख मोरनि है
प्रयमागम संक छुटी:कुछ पै ;चित,में रसरीति हिंडागति है.
कयि 'यालम'.चूंघट पोटहि में कबहूँ, पियसो.दृग जोरनि है
जिंतनो: चितया उत,ओर: चदै पुनरो तुरि लाज बहोरात.है:
[ २० ]
उठि बाली चलो बनमाली जहाँ जमुना जल मंद हिलोरनि की
कवि: पालमा वायन:वीथिनिमें मुरली धुनि है वन मोगनि की
ग यांरिज जानि गिलंपति है जिय संक. धरै अलि, डारनि की
मुनि बंदमुखी मुख चंद चित निसिचंचल चंचु चकोरनि की
चार प्रसून प्रयाल नताप्रति मोति ली है.पिय कुंज गलीरी.
मंद समीर सुनोर कलिंदी के धीर तदी,ग्रज चीर पलीरी
मादमयी मुरलो मधुरंधनि लै कविमालम',सोख भलो रो
आतिमुजाति तू जाति नहीं बन जाति है.राति सिराति अलीरी
[ २५२ ]
घार घटा उमड़ी चोर ते मानु न कीजतु ऐसो अयानी
नजु विलंबतु है रिनु काज यड़ो बड़ी बूंदनि आवेगो पानी
मेरे कहे। उठि.मोहन चलि को सप राति कहेगी कहानी
देखि ही ललनारी लतानि को येऊोतमालनि सौ लपटानी
पृष्ठ:आलम-केलि.djvu/१३९
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