पृष्ठ:आलम-केलि.djvu/३२

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प्राचियो रची पै.तू न रची मेरे पवननु, । अलि:माला योली पैतृ पोलहन बोली री । द्रुम येनी हली तू न हली अली चलिचे को, घकई मिली पै.तून.हियो खोलि पोलीरी। उये रवि कौन काज उठन रूठन "तेरो, ____ोलमा न यंचि फाल सुंरंति कलोलो री ॥३॥ तू तो मेरी प्रामप्यारी: भान को. फाहत तोसो, . ऐसे ; प्यारेमाननाथ पर: प्रानाधारिये । सॉयरो सँघारे सैन मुनि रोसबारे है सो .. ऐसी सैनं सौरि' क्यों न आपको सँयारिये। 'पालमा पियूपनिधि अधर अधर जोरि, संरस यर्मिय जाहिजैन,पवारिये। अनेगर, नारीनुः संजी नागरासुनग नारि, तासों रीन गहि'मानु होहिंन गयारिये ॥३॥ अरी अनबोली तूं तो घोलेहग योलै. पुनि,, अनंग बली के व्या अंनयोसी जाहिगी। फरि कयो, गौन कहि न करिये सो, 1. फरसो ऽव कार जोरि करि फर. लाहिगी। . . 'थालम' समुझि होहि सामुहीं समीप सम, ......ऐसो स्याम तजि स्यामा फाहे में समाहिगो । imamimiremiumminimumarirmiremiuni............. " गरि स्मरण करके। २-अनेग-अनेक, बहुतसी। ३-सुना- ___ सुन्दर रानवत। ।