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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/१७४

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मलखानका बिवाह। १६९

सुनिकै बातैं ये रूपन की पहुँचा द्वारपाल दरबार॥
झारि बिसेने सब बैठे हैं एकते एक शूर सरदार १२८
हाथ जोरि औ बिनती करिकै बोला द्वारपाल शिरनाय॥
ऐपनवारी बारी लायो भारी नेग चहै ह्याँ आय १२९
चार पहरभर चलै सिरोही द्वारे बहै रक्तकी धार॥
नेग आपनो बारी बोलै लीन्हे हाथ ढाल तलवार १३०
सुनिकै बातैं द्वारपाल की तब गजराजा उठा रिसाय॥
बाँधिकै मुशकै त्यहि बारी की सूरज मोहिं दिखावै आय १३१
इतना सुनिकै मानसिंह तहँ द्वारे तुरत पहूँचा आय॥
सेल चलायो त्यहि रुपनापर रुपनालीन्ह्यो वारबचाय १३२
मार्यो लटुवा फिरि भालाको शिरते चली खूनकी धार॥
एँड़ा मसक्यो फिरि घोड़ी के फाटकनिकरिगयोवहिपार १३३
बहुतक दौरे फिरि पाछे सों धरु धरु मारु करैं ललकार॥
घोड़ी कबुतरी मलखेवाली नामी मोहबेका सरदार १३४
त्यहिके बलसों रूपन बारी बहुतन मारि मिलायो छार॥
जायकै पहुँचा फिरि तम्बुन में भारी लाग जहाँ दरबार १३५
दीख्यो ऊदन तहँ रूपन का मानों फगुई का त्यवहार॥
कैसी गुजरी रहे द्वारेपर बोले उदयसिंह सरदार १३६
सुनिकै बातैं ये ऊदन की रूपन यथातथ्य गा गाय॥
खेत छूटिगा दिननायक सों झंडागड़ा निशाको आय१३७
तारागण सब चमकन लागे संतन धुनी दीन परचाय॥
परे आलसी खटिया,तकितकि घों घों कण्ठ रहा घर्राय १३८
करों बन्दना गणनायक की दोनों चरणकमल शिरनाय॥
शीश नवावों पितु अपने को मनमें सदा रामपदध्याय १३९