पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२९१

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आरहसण्डा २८८ यह सुनि आयन परिमालिकते मानो साँच पिथोराराय ४७ इतना सुनिकै पिरथी बोले माहिल काह गयो बौराय ॥ कौन दुशमनी परिमालिक वे. दिल्ली शहर देय फुकवाय ४८ ऊदन जैहैं वौरीगढ़को हमको खबरि मिली है साँच ।। असरिस लागी माहिल ठाकुर मारों निकरि परै तबकाँच ४६ इतना सुनिकै माहिल चलिमे वौरीगढ़े पहूँचे जाय ।। बोले ताहर सों पिरथीपति तुम ऊदनको लवो बुलाय ५० इतना सुनिकै ताहर चलिमे वगिया फेरि पहूंचे जाय ॥ तुम्है बुलायो महराजा है यह ऊदन ते कह्यो सुनाय ५१ इतना सुनते ऊदन ठाकुर बेदुल उपर भयो असवार ।। सुमिरि शारदा मइहरवाली अपनी लीन दालतलवार ५२ ताहर ऊदन दूनों चलि मे औ दवार पहूंचे आय॥ हाथ जोरिक महराजा के सम्मुख ठाढ़भयो शिरनाय ५३ पाग उतारी बघऊदन ने औ धरिदीन चरणपर जाय ॥ देखि नम्रता उदयसिंह के राजा पास लीन बैठाय ५४ पिरथी बोले उदयसिंह ते कहँ को चले बनाफरराय । इतना सुनते ऊदन बोले मानो साँच पिथौराराय ५५ वहिनी हमरी जो चन्द्रावलि ताकी चौथि लेन को जायें। ।। दर्शन करिकै पृथीराज के जायो कहो चंदेलोराय ५६ सोई दर्शन को आयेहन मानो सत्य वचन महिपाल ॥ इतना सुनिकै पिरथी वोले बेटा देशराज के लाल ५७ लौटि मोहोवे ऊदन जावो मानो सत्य वचन यहिकाल । मारे जैहो चौरीगढ़ में ऊदन साँचे कहें हवाल ५८ इवें लुटेरा यदुवंशी सब कैसे पठे दीन परिमाल॥