हवै भलाई डोला दीन्हें नहिं शिर कालरहा मन्नाय १५
सुनिकै बातैं ये धावन की बोला तुरत कनौजीराय॥
खबरि सुनावो तुम पिरथी को डाँड़ने कूच देयँ करवाय १६
जितनी राँड़ैं लइआये हैं सो बिन घाव एक ना जायँ॥
खेदिकै मारों मैं दिल्ली लों नेका टका लेउँ निकराय १७
दहीके धोखे कहुँ भूलैंना जो वै जायँ कपास चबाय॥
शूर सिपाही हैं कनउज के जिनका दीखे काल डेराय १८
सुनिकै बातैं महराजा की धावन चला शीशको नाय॥
खबरि सुनाई सब जयचँद की सुनि जरिमरा पिथौराराय १९
हुकुम लगायदयो क्षत्रिन को क्षत्री कमरबन्ध तय्यार॥
लड़ने मरने के सब लायक एकते एक शूर सरदार २०
मारू बाजा बाजन लागे घूमनलागे लाल निशान॥
भयो सबार तुरत हाथीपर ठाकुर समरधनी चौहान २१
तीर कमान लयो हाथेमाँ कम्मर बँधी ढाल तलवार॥
को गति बरणै तब पिस्थी कै नाहर दिल्ली का सरदार २२
घूमन लाग्यो सब मुर्चन माँ तोपन गोला दीन भराय॥
त्यही समइया त्यहि औसरमाँ यहु रणवाघु कनौजीराय २३
हुकुम लगायो रजपूतन को जल्दी कूच देव करवाय॥
आपौ चढ़िकै फिरि हाथीपर मनमाँ श्रीगणेशकोध्याय २४
चलिभो लश्कर सब कनउजते औ मुर्चा में पहूँचे आय॥
बम्ब के गोला छूटन लागे हाहाकार शब्द गा छाय २५
को गति बरणै तब तोपनकै धुवना रहा सरग मड़राय॥
गोला लागैं जिन हाथिन के मानों गिरैं धौरहर आय २६
गोला लागैं जिन ऊंटन के ते मुँहभरा गिरैं अललाय॥
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२६
आल्हखण्ड।
