सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५१६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२३
नदीबेतवाकासमर । ५१५

स्वारथ साथी सब दुनिया है कासों करों जगतमें साथ२४५
सुमिरि भवानी शिवशङ्कर को ह्याँते करों तरँग को अन्त ॥
राम रमा मिलि दर्शन देवैं इच्छा यही भवानीकन्त २४६

इति श्रीलखनऊनिवासि (सी,आई,ई) मुशीनवलकिशोरात्मजबाबूप्रयागनारायण

जीकीआज्ञानुसार उन्नामप्रदेशान्तर्गत पँड़रीकलांनिवासि मिश्र

वंशोद्भव बुधकृपाशङ्करसूनु पण्डितललिताप्रसादकृतनदीवे-

तवायुद्धवर्णनोनामप्रथमस्तरंगः॥१॥

नदीबेतवाकायुद्धसमाप्त॥

इति॥