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नदीबेतवाकासमर । ५१५
स्वारथ साथी सब दुनिया है कासों करों जगतमें साथ२४५
सुमिरि भवानी शिवशङ्कर को ह्याँते करों तरँग को अन्त ॥
राम रमा मिलि दर्शन देवैं इच्छा यही भवानीकन्त २४६
इति श्रीलखनऊनिवासि (सी,आई,ई) मुशीनवलकिशोरात्मजबाबूप्रयागनारायण
जीकीआज्ञानुसार उन्नामप्रदेशान्तर्गत पँड़रीकलांनिवासि मिश्र
वंशोद्भव बुधकृपाशङ्करसूनु पण्डितललिताप्रसादकृतनदीवे-
तवायुद्धवर्णनोनामप्रथमस्तरंगः॥१॥
नदीबेतवाकायुद्धसमाप्त॥
इति॥