पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५२

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महोबेका प्रथमयुद्ध । ४७ छोटि दरक्खत बहु टूटत भे रौसैं पटरी दई गिराय १०२ यहगति दीख्यो जब मालिनने बोल्यो उदयसिंहते आय ।। कोने राजा के लरिकाही सवियाँ डास्यो बाग नशाय१०३ काह नाम है सो बतलायो आपन देश देव बतलाय ।। सुनिक बातें त्यहि मालीकी बोल्यो तुरत बनाफरराय १०४ देश हमारो नगर महोबा हमरो उदयसिंह है नाम । ॥ फिरिक माली अब बोलेना नाहि तो पठेदेव यमधाम १०५ मुनिक बातें बघऊदन की माली चुप्प साधि तब लीन ॥ सुमिरि भवानी शिवशंकरको ह्याँते कलम बन्दकै दीन १०६ आशिर्वाद देव मुंशीसुत जीवहु प्रागनरायण भाय । कीरति तुम्हरी जो सब गावें तौफिरि कथाबहुतबढ़िजाय१०७ माथ नवाबों पितु अपने को जिनम्बर्हि विद्यादीन पढ़ाय ।। सो सुख पावे देवलोक में गावैललितचरितनितध्याय१०८ अब में ध्यावों रामचन्दको जो मम इष्टदेव महराज ।। ईति हमरी जग में राखें पुरवै सकल हमारे काज १०६ इति श्रीलखनऊनिवासि (सी, आई, ई) मुंशीनवलकिशोरात्मजवाबूमयागना- रायणजीकीआज्ञानुसारउन्नामप्रदेशान्तर्गतपँडरीकलांनिवासिमिश्रबंशोद्भव बुधकपाशङ्करसूनु पं० ललिताप्रसादकृतमहोवायुद्धऊदनशिकार वर्णनोनामप्रथमस्तरंगः १ ॥ महोबेकाप्रथमयुद्धसमाप्त ॥