को गति बरणै जगनायक कै मारे घूमि घूमि तलवार ।।
ब्रह्मा ठाकुर के मुर्चा मा कोउ न ठाढ़ होय सरदार ५८
लरिका मरिगे पृथीराज के क्षत्रिन छाँड़ि दीन मैदान ।।
घाँघू चौड़ा त्यहि समया मा भारी कीन घोर घमसान ५९
भा खलभल्ला औ हल्लाअति लल्ला डारि भागि हथियार ॥
ना मुहँ फेरैं दिल्ली वाले ना ई मोहबे के सरदार ६०
कीरति प्यारी के भूखे हैं दोऊ दिशिमा परम जुझार ॥
फिरि फिरि मारे औ ललकारै यहु मल्हना को राजकुमार ६१
घोड़ा मारै भल टापन ते ऊपर आप करैं तलवार ।।
ब्रह्मा ठाकुर के मुर्चा मा क्षत्री डारि भागि हथियार ६२
देखि तमाशा चौड़ा घाँघू रहिगे चुप्प साधि त्यहि बार ॥
यहु निरशंकी परिमालिक का बहुतन पठै दीन यमद्वार ६३
रण अभिलाषा नहिं काहू के सब क्वउ गये मनैमन हार ।।
ठाकुर बेढव जगनायक है भैने जौनु चँदेले क्यार ६४
वाॅधू ठाकुर के मुर्चा मा दूनों हाथ करै तलवार ।।
चौड़ा ब्राह्मण इकदन्ता से बीरन रहा तहाँ ललकार ६५
रोज केतकी क फूलै ना चंपा रोज न लागै डार ।।
गई जवानी फिरि मिलिहै ना ना फिरि रोज चलैं तलवार ६६
कीरति गैहैं सब दुनिया मा जो कउ लड़ै शूर सरदार ॥
आखिर देही यह रहि है ना जोरी जोरन जोर हजार ६७
सदा न फूलै यह वन त्वरई यारो सदा न सावन होय ॥
सदा न पैहौ यह नर देही ।यारो सदा न जीवै कोय ६८
ऐसी बातैं चौड़ा कहि कहि क्षत्रिन दीन्हे खूब जुझाय ।।
ब्रह्मा ठाकुर त्यहि समया मा भारी हाँक कहा गुहराय ६९
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बेला के गौने का प्रथम युद्ध । ५३५
