पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५३६

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बेलाकेगोनेकाप्रथमयुद्ध । ५३५ को गति बरणे जगनायक के मारे धूमि घूमि तलवार ।। ब्रह्मा ठाकुर के मुर्चा मा कोउ न ठगढ़ होय सरदार ५८ लरिका मरिगे पृथीराज के क्षत्रिन छाँड़ि दीन मैदान । धाँधू चौड़ा त्यहि समया मा भारी कीन घोर घमसान ५६ भा खलभल्ला औ हल्लाअति लल्ला डारि भागि हथियार ॥ ना मुहँ फेरें दिल्ली वाले नाई मोहवे के सरदार ६० कीरति प्यारी के मुवे हैं दोऊ दिशिमा परम जुझार ॥ फिरि फिरि मारे औ ललकारे यहु मल्हना को राजकुमार ६१ घोड़ा मारे भल टापन ते ऊपर आप करें तलवार ।। ब्रह्माठाकुर के मुर्वा मा क्षत्री डारि भागि हथियार ६२ देखि तमाशा चौड़ा घाँधू रहिगे चुप्प साधि त्यहि बार ॥ यहु निरशंकी परिमालिक का बहुतन पठे दीन यमदार ६३ रण अभिलाषा नहिं काहू के सब क्वउ गये मनैमन हार ।। राकुर बेढव जगनायक है मैने जोनु चँदेले क्यार ६४ गाँधू ठाकुर के मुर्चा मा बाँड़ा ब्राह्मण इकदन्ता से बीरन रहा तहाँ ललकार ६५ चंपा रोज न लागै डार ।। गई जवानी फिरि मिलिहै ना ना फिरि रोजचले तलवार ६६ कीरति गैहै सब दुनिया मा जो कर ल शूर सरदार ॥ जोरी जोरन जोर हजार ६७ यारो सदा न सावन होय ॥ यारो सदा न जीवै कोय ६८ ऐसी बातें चौड़ा कहि कहि क्षत्रिन दीन्हे खूब जुझाय ।। भारी हाँक कहा गुहराय ६९ रोज केतकी क फूलै ना आखिर देही यह रहि है ना सदा न फूले यह वन वई सदान पैहो यह नर देही मामा कुा त्यहि समया मा