पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५३५

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आल्हखण्ड । ५३४ कच्छी मच्छी नकुला सब्जा हरियल मुश्की घोड़ अपार ॥ ताजी तुर्की पंचकल्यानी इनपर होन लागि असवार ४६ अंगद पंगद मकुना भौंरा सजिगे श्वेतवरण गजराज ॥ सोहे अँवारी तिन हाथिन पर बहुतन होदा रहे विराज १७ को गति बरणे त्यहि समया के मानो कोष कीन सुरराज ॥ वाजें डंका अहतंका के मानों गिरें उपर ते गाज ४८ पहिल नगाड़ा में जिनबन्दी दुसरे फाँदि भये असवार । तिसर नगाड़ा के वाजत खन चलिमे सबै शूर सरदार ४९ खर खर खर खर कै रथदारे रवा चले पचन की चाल । हाथी चिघरे घोड़ा हीसे कीन्हेनिशब्दबहुतनरपाल ५० गुप्ती धावन तहँ ब्रह्मा का. तम्बुन अटा तड़ाका आय। खबरि सुनाई यह ब्रह्मा को की दल अवै चंदेलेराय ५१ इतना सुनिक ब्रह्मा ठाकुर फौजें तुरत लीन सजवाय ॥ बाजे डंका अहतंका के वंकन शंक दीन विसराय ५२ ई निरशंका मोहवे वाले बाँधेनि तुरत ढाल तलवार ॥ साजा ठाढ़ा हरनागर था ब्रह्मा फॉदि भये असवार ५३ पहिलि लड़ाई में तोपन के पाछे चलन लागि तलवार ।। कहुँ कहुँ भाला कहुँ कहुँ बरछी मारन लागि शूर सरदार ५४ तीर तमंचन की मारुइ भइँ कोताखानी चलीं कटार ॥ तेगा चमकै बर्दवान का ऊना चलै बिलाइति क्यार ५५ को गति बरणे त्यहि समयामा बाजे छपक छपक तलवार ।। मारे मारे तलवारिन के नदिया वही रक्त की धार ५६ ना मुहँ फेरै. दिल्ली वाले ना ई मोहबे के सरदार ॥ मुण्डन केरे मुड़ चौरा मे औ रुण्डन के लगे पहार ५७ +