पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५५६

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बेलाकेगौनेकाद्वितीययुद्ध । ५५५ न्याह बनाफर ऊदन कीन्ह्यो लाखनिविदालीनकरवाय१२६ काह हकीकति है ताहर के डोला पास जाय नगच्याय ।। जितने सँगमा तुम ले आये सब के मूड़ लेउँ कटवाय १३० तो तो लरिका रतीमान का नहिं ई मुच्छ डरों मुड़वाय ।। जीवन चाही ताहर नाहर तो अब कूच जाउकरवाय१३१ सुनिकै बातें ये लाखनि की ताहर बोले बचन सुनाय ॥ मारो मारो ओ रजपूतो डोला लेवो तुरत छिनाय १३२ सुनिकै बातें ये ताहर की तुरतै चलन लागि तलवार ।। एक सहस दल पैदल सेना दुइशतबीससाथ असवार १३३ अभिरे क्षत्री अरवारा सों बाजै छपक छपक तलवार । मारे मारे तलवारिन के नदिया वही रक्तकीधार १३४ को गति बरणै तहँ ताहर के नाहर दिल्ली का सरदार ।। पैदल सेना धुनकत आवे मारत अवै घोड़ असवार १३५ यहु दलगंजन की पीठी मा सोहै दिल्ली का सरदार ॥ जह पर भूरी है लाखनि के ताहरआयगयो त्यहिवार९३६ ऍड़ लगायो दलगंजन के हौदा उपर पहुंचा जाय ।। गुर्ज चलाई लाखनिराना मस्तक परी घोड़केआय १३७ हटि दलगंजन तब दलतेगा वलते थहर थहर थर्राय । जितनी सेना थी ताहर की तुरतै भागिचली भर्राय १३८ ताहर हटिगे जब मुर्चा ते लाखनि कूचदीन करवाय ॥ वाजत डंका अहतंका के निर्भयजात कनौजीराय १३६ बेला बोली तह ऊदन ते साँची कहाँ बनाफरराय ।। दायज दीन्यों का महराजा हमते साँच देउ बतलाय १०० मुनिके बातें ये बेला की कुण्डल तुरत दीन दिखलाय।