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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५७

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आल्हखण्ड। ५२

धोखे माड़ो की चरचा ना कीन्ह्यो उरई के नरपाल २१
फोरी गगरिया है माटी की ताँवे घड़ा देउँ बनवाय॥
विषधर लड़िका देशराज का ज्यहिकाकहीउदयसिंहराय २२
जैसे लरिका देशराज का तैसे पूत आपनो जान॥
अनख न मानव यहि बातनका माहिल बचन हमारे मान २३
लिखिकै चिट्ठी को जल्दी सों धावन हाथ दीन पकराय॥
माथ नायकै परिमालिक को धावन बैठ ऊंट पर जाय २४
जल्दी चलिकै फिरि मोहबे सों उरई तुरत पहूंचा आय॥
किह्यो बन्दगी सो माहिल को पत्री दीन हाथ में जाय २५
पढ़िकै पत्री परिमालिक की माहिल ठाकुर उठा रिसाय॥
मोचि फोंचिकै त्यहि चिट्ठीको माहिल तहॅपर दीन चलाय २६
एक महीना के अरसा में ऊदन खेलन चल्यो शिकार॥
जायकै पहुंच्यो फिरि उरई में माहिल बाग गयो सरदार २७
जोड़ी मार्यो करसायल की औ फुलबगिया डर्योनशाय॥
माली दौरे सब बगिया के औयहुदिख्यनितमाशाआय २८
जल्दी चलि भे ते उरई को अभई पास पहुंचे जाय॥
कह्यो हकीकत सब माली ने अभई तुरतै चला रिसाय २९
जायकै पहुँच्यो फिरिबगियामें अभई गरू दीन ललकार॥
अवगुन कीन्ह्यो भल उरई में ओ द्यावलि के राजकुमार३०
जान न पैहो अब उरई ते ऊदन खबरदार ह्वैजाय॥
सुनिकै बातैं ये अभई की घोड़ते कुदा बनाफरराय ३१
पकरिकै बाहू द्वउ अभई की औ बगिया माँ दीन चलाय॥
हाँकिकै घोड़ा ऊदन चलिभे पहुँचे नगरमोहोबा आय ३२
माली दौरे फिरि बगिया ते माहिल पास पहुंचे आय॥