सवापहर के फिरि अर्सामाँ ऊदन गयो मोहोबे आय ९
ह्याँ पनिहारी चलि पनिघटसों माहिल द्वार पहूंची आय॥
कही हकीकत सब माहिल सों आँखिन आँसू रहीं बहाय १०
ईजति हमरी वहि लैडार्यो बेटा देशराज के लाल॥
गगरी सबियाँ चूरण कैकै औचलिगयो जहाँपरिमाल ११
सुनिकै बातैं पनिहारिन की माहिलजला अग्निकीज्वाला॥
कागज लीन्ह्यो कलपीवाला लीन्ह्यो कलमदवाइत हाल १२
शिरीसरबऊ को पहिले लिखि पाछे लिखनलाग सब हाल॥
चिट्ठी तुमका हम भेजित है सो पढ़िलेउ रजापरिमाल १३
तुम्हरे घरका जो चाकर है जाको उदयसिंह है नाम॥
सो चलिआयो म्बरि उरई माँ सबियाँ बाग कीन बेकाम १४
उधुम मचायो सो पनिघट में सिगरी गगरी दीन नशाय॥
कबसे ऊदन मे तरवरिहा सो तुम उन्हें देव समुझाय १५
टँगी खुपरियाँ देशराज की राजा जम्बा क्यरे दुवार॥
बड़ी वीरता जो आई हो माड़ो करैं जाय तलवार १६
लिखिकै चिट्ठी सो माहिलने धावन हाथ दीन पकराय॥
साजि साँड़िनी को जल्दी सों धावन चला मोहोवे जाय १७
तीन पहर का अरसा करके फाटक उपर पहूंचा जाय॥
बैठि साँड़िनी गै फाटक पर धावन उतरपरा तहँ आय १८
चलिभो धावन फाटक भीतर जहँ पै बैठ रजा परिमाल॥
कीनबन्दगी महराजा को पत्री देत भयो ततकाल १६
फारि लिफाफा को जल्दी सों पत्री पढ़त भयो परिमाल॥
लिखी हकीकत जो माहिल है सोसबबाँचिलीनत्यहिकाल २०
कलम दवाइत कागज लैकै उत्तर लिखनलाग परिमाल॥
पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५६
दिखावट
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५१
माड़ोका युद्ध।
