पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५९

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आल्ह खण्ड। ५४ लखा पतुरिया को लैगा को घोड़ा कौन लीन छुड़वाय ४५ हार नौलखा को लैंगा को मास्यो बच्छराज को गाय ।। हाल बतावो सब जल्दी सों हमरे धीर धरा ना जाय ४६ मुनिकै वार्तं बघऊदन की वोला तुरत रजापरिमाल ।। तीस बरस की ई वाते हैं माहिलकहँ आजसो हाल ४७ कठिन लड़ाई भै सिलहट में तहँ पर जूझो वाप तुम्हार ।। दशहरिपुरवा कहुँ अनते है फुक्यो माड़ो के सरदार ४८ कियो वहाना परिमालिक ने मान्यो नहीं बनाफरराय ।। माहिल तेरे फिर पूंछत भे साँचे हाल देव बतलाय ४६ को है राजा माडोवाला ज्यहिने मारा वाप हमार ॥ चरचा कीन्हीं है तुमही ने ठाकुर उरई के सरदार ५० त्यहिते तुमते हम पूंछत हैं सो तुम हमें देउ क्तलाय ।। सुनिकै बातें बघऊदन की माहिलकहावचनमुमुकाय ५१ जौन बतावा परिमालिक ने सोई सत्य वनाफरराय ।। वाप तुम्हारो सिलहट जूझ्यो चरचाकीन सोईहम आय ५२ सुनिक बातें ये माहिल की चलिभा तुरत वनाफरराय ।। जायके पहुँच्यो त्यहि मन्दिरमें जहँ पै रहे दिवलदे माय ५३ हाथ जोरिकै तहँ पूँछत भा माता चरणन शीश नवाय ।। किसने मारयो म्वरे बाप को माता मोहिं देउ बतलाय ५४ लखा पतुरिया हाथी घोड़ा औ लैगयो नौलखाहार ।। टॅगी खुपरिया म्बरे बाप की माता क्यहिके अवों दुवार ५५ सत्य बतावै मोहिं माता तू नहिं मरिजाउँ पेटको मारि ॥ इतनी कहिकै वघऊदन ने औ छाती में धरी कटारि ५६ देखि तमाशा यह अदन को द्यावलि मनमाँ कीन विचार ॥