पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/६०२

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चन्दनखम्माकामैदान । ६०१ भयो सामना फिरि धाँधू का दूनों लड़न लाग सरदार ॥ घोड़ दुला पर ऊदन हैं धाँधू हाथी पर असवार ५९ ऍड़ लगायो रस बेंदुल के हौदा उपर पहूँचा जाय । गुर्ज चलाई तब धाँधू ने ऊदन लैंगे वार बचाय ६० दाल कि औझड़ ऊन मारी धाँधू गिरे मूर्छा खाय ॥ भागो हाथी जब धाँधू का देवी गयो मरहटाआय ६१ औ ललकारा उदयसिंह को ठाकुर खबरदार लैजाय । वार हमारी ते बचिहोना जो विधि आपुबचायें आय६२ इतना कहिकै छवी मरहटा तुरतै संचि लीन तलवार । ऐचि के मारा बघऊदन के ऊदन लीन ढालपर वार ६३ फिरि ललकारा उदयसिंह ने नाहर होउ तुरत हुशियार ॥ यह कहि मारा तलवारी को देवी जूझिगयो त्यहिबार ६४ जझिग देवी जब खेतन मा चौड़ा गरू करै ललकार ॥ लड़े चौड़िया रण खेतनमा दूनों हाथ करें तलवार ६५ मीरासय्यद बनरस वाले येऊ घोर करें घमसान ।। कोगति वरणै तहँ देवा के ठाकुर मैनपुरी चौहान ६६ फिरिफिरि मारे औ ललकारे रणमा कठिन करें तलवार ।। भूरी हथिनी के हौदा ते रोजा कनउज का सरदार ६७ अद्भुत युद्ध करें त्यहिबार ।। कोगतिवरणे तहँ धाँध के हाथी उपर ज्ञान असवार ६८ करि खलभल्ला ो हल्लाअति दूनों हाथ करै तलवार । लड़े इकल्ला यह लल्लाअति मकुर उदयसिंह सरदार ६६ बड़ी लड़ाई त्यहि समयाभै चन्दन खम्भा के मैदान । ना मुह फेर कनउज वाले ना ई दिल्ली के चौहान ७० हनि हनि मारै रजपूतन का