सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:इतिहास तिमिरनाशक भाग 2.djvu/१००

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
६८
इतिहास तिमिर नाशक


साबित हो कि उन्हों ने आप सकीर अंगरेज़ की प्रजा के क़त्ल में शराकत की बाकी सारे अपराधियों पर हमारी दया होगी क्योंकि जिन्हों ने आप सकार अंगरेजको प्रजा के क़त्ल में शराकत की उन पर दया करना इन्साफ़की रूसे मना है।

जिन लोगों ने कतल करनेवालों को जान बूझ कर पनाह दी या बलवाइयों के सर्दार और उनके बहकानेवाले बने उनके केवल जीवदान का वादा हो सकता है लेकिन ऐसे आदमियों को वाजिब सजादेनेमें उनसब बातोंका जिनके सबसे बहक कर अपनी इताअत से फिरगधे पूरा लिहाज़ किया जायगा और उनलोगों के वास्ते जो बिना सोचे बिचारे फसाड़ियों की झूठी बातों को मानकर गुनहगार बनें बड़ी रिआयत की जावेगी।

बाक़ी और सभेमें जो सौर के मुकाबलेमें हथियार बांधे इस इश्तिहार में हम वादा करते हैं कि जब वे अपने डेरों को लोट जावें और सुलह के कामों में हाथ लगावें उनके बिलकुल कसूर हमारी निस्बत और हमारी सल्तनत और हमारे मतबे को निस्बत बेशर्त माफ़ और दरगुज़र और फरामोश कर दिये जायेंगे।

और हमारी ग्रह बादशाही मर्जीहे किये रहम और माफ़ करने की शर्त उन सब लोगों के वास्ते हैं जो पहली तारीख जनवरी सन् १८५६ ई०. से पहले उनकी तामील करें

हमारी मह जी से अभिलाषा है कि जब परमेश्वरकी कृपा से हिंदुस्तान में फिर अमन चैन हो जावे तो वहां सुलह के उद्यमों को उन्नति देवे और प्रजा के सुख की चीजें बनार्वे और ऐसा बंदोबस्त करें कि वहां की सारी हमारी प्रनाको लाभ हो उनकी वृद्धि से हमारी शक्ति है उनकी संतुष्टता से हमारी रक्षा और उनकी शुकरगुज़ारी यहीहमको बड़ी प्राप्ति हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर हमको और जो लोग कि हमारतहत में इतियार रखते हैं सबको ऐसी शक्तिदे कि जिससे हमारीयह अभिलाषाहमारी प्रजा को भलाई के लिये भलीभांति परिपर्वहो॥

॥इति॥