पृष्ठ:इतिहास तिमिरनाशक भाग 2.djvu/२५

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दुसरा खण्ड


दे। क्योंकि अंगरेजों को खटका फ़रासीसियों का था भड़ोंच सेंधिया के क़बजे में रहने दे। और अगर रघुनाथरावसेंधिया को अमलदारी में रहे तीन लाख रुपया साल उसे पेशवा के यहां से गुज़ारे को मिला करे।

सन् १७७० में फ़रासीस और इंगलिस्तानको दर्मियान लड़ाई शुरू हो जाने के सबब अंगरेजों ने यहां से फरासीसियों को बिल्कुल बेदखल कर दिया। बंगाले की फ़ौजने चंदरनगरपर कबजा किया। मंदराज को फ़ोज ने पटुच्चेरी लेकर उस का किलठिाह डाला। और कारीकाल और मछलीबंदर और माही भी छीन लिया।

हैदरअली से अंगरेज़ों का जो सुलहनामा हुआ था उस में शर्त थी कि बचाव के लिये दोनों एक दूसरे को मदद करें लेकिन जब मरहठों ने (१७७१)हैदरअली पर चढ़ाई की। तो अंगरेज़ों ने उसे कुछ भा मदद न दी। इस बातको उस के जी में बड़ो लाग थी। सन् १७८० में एकलाख फौज लेकरचढ़ आया और अंगरेज़ी अमलदारी में हर तरफ लूटमारमचादी। जो सब फरासीसी वगैर: फरंगी और जगहों से निकालेगयेथे। अक्सर इस ने अपनी फ़ौज में भरती करलिये थे। उन्हीं का बड़ा भरोसाथा। और तापखाना भी उसका सो तापोंका अच्छा सिजिल था। अंगरेज़ी फ़ौज जो मंदराज के पास इकट्ठा हुई कुल पांच हज़ार थी पहलीही लड़ाई में फ़ाश शिकस्त खायी। जेर बचे मंदराज चले आये बड़ी घबरा इट पड़ो। लेकिनक न- कते से रुपये और सिपाह की मदद बहुत जल्द पहुंची। तब तक हिंदूसिपाही जहाज़पर नहीं चढ़तेथे। इसीलिये सारीराह खुशकी गये। इनके पहुंचने पर सात हजार को जमाअत हो गय। कुछ फोज मदद के लिये बम्बई से भी आयी। अंगरेज को अपने किले और शहर बचानेकी फिक्र थी और दुश- मन का उनके लेनेलो में ग़रज़ खूब लड़ाइयां हुई। दोनों तरफ के बहादुरों ने अपनी अपनी बहादुरियां दिखलाई। कभीएक का कोई किला या शहर या गांव दूसरे के कबज़ में चला