पृष्ठ:इतिहास तिमिरनाशक भाग 2.djvu/३२

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इतिहास तिमिरनाशक


गवर्नर जेनरल सिपाहियों का काम करता था। चौथी मई को १७९९ ई० क़िलेपर हमलाहुआ। और अंगरेज़ी निशान फहराया। टीपूकी लाश हाथ लगी लड़के उसके हाज़िर होगये ९२९ तोंप एक लाख बंदूक़ साज़ सामान समेत ओर एक करोड़ एक लाख के करीब नक़द और जवाहिर अंगरेज़ों के हाथ लगा। क़ाइदे के बमूजिब टीपूका सारामुल्क सर्कार और नव्वाब के दर्मियान बटजाना चाहिये था। लेकिन गवर्नर जेनरल ने मुनासिब न समझा कि नव्वाब को अमल्दारी ज़ियादा बढ़ाई जाय इसी लिये तो आपस में बांट लिया। और बाकी मेसूर के पुराने राजा के वारिसों में से जिसे हैदरअली ने वहां से बेदखल कर दिया था चुनकर उसके हवाले किया। और शर्त यह कर ली कि हिफाज़त के लिये फ़ौज उसमें सारी रहेगी खर्च साल लाख साल ज़िम्मे राजा के। और जब ज़रूरतपड़े तो इन्तिज़ाम भी मुल्कका सकार अपने तौर पर करें।

तंजोर का राजा तुलजाजी लावल्द होने के सबब एक दस बरस के लड़के सवाजी को गोद लेकर मर गया था उसके १८०० ई० भाई अमरसिंह ने गट्टीका दावा किया। सर्कार ने बहुततहकात के बाद गट्टी संवौजीकोदी लेकिनमुल्क की आमदनी से उसके लिये एक अच्छा सा पिंशन मुकरर करके दीवानी फोजदारीका इखतियार आपले लिया।

सूरत के नवाब मरने के पर यही हाल वहांका भी हुआ और कर्नाटक के नवाब उमदतुलउमरा के मरने पर जब उसके बेटे अलीहुसेन ने इन शीसे इंकार किया। तोउसके १०१ ई० चचेरे भाई अज़ीमुद्दीला को इन्हीं शतीपर नव्वाब बमादिया।

वज़ीरअली अवधसे निकाल कर बनारस में रक्खागयाथा।- जब मालूम हुआ कि काबुल के बादशाह जमांशाह से खत किताबत रखता है और फसाद उठाया चाहता हे ता से कलकते जानेका हुकममिला। वह इसबात से जलकरएकदिन सुबह को चेरी साहिब अजंट के यहां जब चायपीनेको गया। बातों ही बातों में उन्हें काट डाला मामान कानबे सहित