पृष्ठ:इतिहास तिमिरनाशक भाग 2.djvu/३१

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दुसरा खण्ड

अर्ल आफ़ मार्निगटन यानी मार्कि्कस आफ़ विलिज़ली सन् १७६८ में सरज़ान शोरने इंगलिस्तान जाकर लार्डटेन १७९९ ई०

मौथका ख़िताब पाया। और यहां उसकी जगहपर अर्लाआफ़- मीर्निगटन जो फिर पीछे से ख़िताब पाकर मार्किस आफ़ विलिज़ली कहलाया गवर्नर जेनरल होकर आया।

अगर्चि टीपू ने मुश्किल के वक्त़ अंगरेज़ों से सुलह करलीं थी। पर लागकी आगसे उसकी छाती बराबर जलती रही। मार्निगटन को साबित होगया कि वह फ़रासीसियों से ख़त कितावत रखता है। और उनकेमुल्कसे मदद मंगानेकीफ़िक करता है। यह बड़ा ज़बर्दस्त गवर्नर जेनरल था। झट पट मंदराज में फ़ौज जमा होनेका हुक्म दे दिया। और टीपूको लिख भेजा कि या तो मलीबार की तरफ़ समुद्र कनारके सब इलाक़े दे कर और फ़ौज जमाहाने में जो ख़र्च पड़े उसे चुका कर आगे को अ़ह्द नामा लिखदो कि फरासीसियों से कभी किसी तरहका कुछ सरोकार न रक्खोगे जो फरसीसी तुम्हारी अमलदारी में हों तुर्त निकाल बाहरकरो और सारी रज़ीडंट को अपने यहां रहनेको जगह दो। नहीं तो सर्कार को अपनादुश्मन समझो। जब टीपूने इसका कुछ जवाब न दिया मंदराज और बम्बई दोनों तरफ सेअंगरेज़ी फ़ौज ने उस के मुलक पर चढ़ाई की। हैदराबाद के नवाब को फ़ौज भी अंगरेजों के साथ थी। पेशवा सेंधिया की बहकावट से अलग रहा। श्रीरंगपट्टनसे बीसकोस इधर अंगरेज़ोंको टीपूमेलड़ाईहुई टीपू शिकस्त खाकर पीछेहटा‌। और यहसोच कर कि अंगरेज़ी फ़ौज उसी राह से आवेगी जिस से पहले आयोथो बिलकुल घास और चारा जो उसमेंथा नास करवादिया। लेकिन जब सुना कि अंगरेज़ों ने दूसरी राहली उसका जी बिल्कुल टूट गया। और अपने सिपाहियों से साफ कहा कि अब मेरे दिन पान पहुंचे उन्होंने यही जवाब दिया कि आप के साथ हम भी कट मरेंगे। निदान अंगरेज़ोंनेजाकर श्रीरंगपट्टन घेर लिया नबाब ओर पेशवा की फ़ौज तो तमाशा देखती थी लेकिन