सिन्ध के अमीरों से सन १८३२ में मकार का यह अ़ह्द
पैमान होगया था कि सिन्ध नदीकी राह बेशकसर्कारीआदमी
आवें जावें। लेकिन न कोई जंगी जहाज़ उसमें लावें और न
लड़ाई का सामान उधर से कहीं को ले जावें। सन् १८३८ में
यह भी ठहर गया कि एक सर्कारी रज़ीडंट वहां रहा करे।
लेकिन जब सर्कार को मालूम हुआ कि ये अमीर ईरान के
बादशाह से खत किताबत करते हैं लार्ड अकलैंडने सर्कारी
फ़ौज काबुल जाने के वक्त उनसे एक अहदनामा इस मज़मून
का लिखवा लिया कि कुछ किसी क़दर सर्कारी फ़ौज उन के
इलाके में रहा करे और उसका खर्च उन्हीं के ज़िम्मेदाररह। अमीर
इस पर भी अपनी हर्कत से बाज़ न आये। काबुलकीलड़ाइयों
में सर्कार के दुश्मनों से साज़िस करने लगे। ओरसारकोयह
भी खबर पहुंची कि सिन्धु नदी पर अह्नामे के खिलाफ
महसूल लगाते हैं निदान सन् १८४२ में लार्ड एलनबराने उन
से इस मजमून का अदनामा तलब किया कि फोज ख़र्च के
बदल वह कुछ मुलक सार की नज़र करें सिक्का सर्कार का
जारी करें। और जो यूशं की नाव सिन्धु नदी में चलें उनके
लिये जलाने को लकड़ी देंन दें तो नाववालेजहां जापेड़ पार्वे
काट लें। अमीरों ने इस अहदनामे पर भीमुहर कादीलेकिन
उन के बलूची सर्दार इस बात से बहुत नाखुशहुए मेजरऊट-
रम वहां रज़ीडंट था। ओर सर चार्लस नेपिअर वहाँके इन्ति-
ज़ाम के लिये कुछ फौज लेकर सिन्ध की राजधानी हैदराबाद
के पास पहुंच चुका था। अमीरों ने मेजर ऊटरम से साफ़ कह
दिया कि सर चार्लस नेपिअर अगर हैदराबाद की तरफ़बढ़ेगा
बलूची बलवा करेंगे सर चार्लस नेपिअर कब रुकनेवाला था।
पन्टरहवीं फेब्रुअरीको बलूचियोंने बलवाकिया और रज़ीडंटी १८४३ ई० को जा घेरा। रज़ीडंट तो अपने आदमियों समेत नदीमें धूएं
की नाव पर चला गया। लेकिनअसबाबकाबहुतनुकसानहुआ।
जब सर चार्लस नेपिअर हैदराबाद से तीनकोस पर मियानीमें
पहुंचा देखा कि अमीरों की फ़ौज बीस हज़ारसे जियादाबहुत
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दुसरा खण्ड