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इतिहास तिमिरनाशक

अब कुछ हाल, अवध को ज़ब्ती का सुनी यह भारी काम लार्ड डलहौसी का गोया आखिरी था। सन् १७७९ ही में वारन हेस्टिंगज़् ने नव्वाब आसिफुद्दोला को रअय्यत की तबाही और बद इन्तिज़ामी से चिताया था। लार्ड कार्नवालिस और सरज़ान शोर भी चिलाता रहा। यहां तक कि जब अंगरेजों की मदद से सआदतअलीखां नवाब हुआ लार्ड विलिजलीने सन् १८०१ में इस बात का कि रजीडंट की सलाह मुताबिक इन्तिज़ाम दुरुस्त करे एक अहदनामा लिखवालिया। बीस बरस बाद लाई बैंटिंक को बखूबी मालूम होगया कि बै मुदा खलत काम न चलेगा । कोर्ट आफ डेरेकृस से इजाज़तहासिन कर के नसीमुद्दीनहेदर को धमकाया कि यह इखितियार लिख करपिंशन मुकर्रर होजायेगा।

इस धमकी से कुछ बहुत काम नहीं निकला। लार्ड अकलैंड और ज़ियादा धारूरी मुहिम्मों में फंसा रहा सनु १८४६ मैं यानी पहली पंजाब की लड़ाई ख़तम होने पर गवनमेंट ने फिर अवध की तरफ़ सबस्नुहझी। ओर रअय्यत की तबाही और परेशानी की ख़बर ली। लार्ड हारडिय खुद लखनऊ गये और बादशाह * की जुबानी समझाया। और फिर जल्दही सन् १८५५ में लॉर्ड डलहौसी ने कर्नस स्लीमन को वहां का रीडंट मुकर्रर किया। और हुकम दिया कि बिलकुल इलाके में दौरा करके अपनी आंखों से रअय्यत की हालत देखें। और यहाँ इन्तिज़ाम का रिपोर्ट करे‌। रिपोर्ट आया। लेकिन उससे बदतर होना मुमकिन न था, गोव्या दुनया के जुलम और ज़ियादतियों की फ़िहरिस्तथी। रजय्यत को तबाही और परेशानी से भरी थी। बादशाह ऐश में डूबे हुए थे। अदालत के मालिक गवेये बजवेये थे.। उहदेदार अपनेड़हदे नज़राना देकर मोल लेतेथे। और फिर रखय्यत को लूट कर अपनी जेब भरतेथे। तोभी लार्ड डलहौसी ने ९८ ई० ज़बूती मुलतवी रक्खी। और सन् १८५४ में जेनरल कटरमको


  • बादशाह का खिताब मिलने काहालऊपर लिखा गया हैं।