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पृष्ठ:इतिहास तिमिरनाशक भाग 2.djvu/९८

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इतिहास तिमिरनाशक


सब रईस और सर्दारों की ओर से भी ऐसाही लिहाज़ रहेगा।

सबमुल्क कि अब हमारे कबजे मेंहें हम उन्हें बढ़ाना नहीं चाहते और जब कि हम ऐसा न होने देवेंगे कि दूसरे लोग हमारे मुल्क या अधिकारों पर नि:शंक हाथ बढ़ावें तो हम भी दूसरों के मुल्क या अधिकारों पर हाथ बढ़ाये जाने की इजाज़त न देखेंगे हम हिन्दुस्तान के रईस और सर्दारों के अधिकार और दर्ज भोर उनकी प्रतिष्ठा ऐसी ही समझेगे जैसी अपनी समझते हैं और हमारी इच्छा है कि वे सब और हमारी अपनी प्रजा भो उस बढ़ती ओर चाल चलन की दुरुस्ती को हासिल करें कि जो केवल मुल्क अच्छा बंदोबस्त रहने से हो सकती है।

जो काम कि हमको अपनी ओर सब प्रजाके वास्ते करने उचित और कर्तव्यह वही हिंदुस्तानवालों के लिये भी हम अपने ऊपर वाजिब समझेंगे और सर्वशक्तिमान परमेश्वरकी कृपासेउन सबकामों को वफादारी के साथ सच्चे दिलसे करते रहेंगे।

यद्यपि हमको ईसाई मतके सच्चे होने का दृढ़ निश्चय है और उस मतसे जो तसल्ली कि हासिल होती है उसको हम शुकरगुज़ारी के साथ स्वीकार करते हैं तथापि न अपना हम इस बात में अधिकार समझते हैं और न हमको इस बात की इच्छा है कि ज़बर्दस्ती अपनी प्रजा को भी उसका निश्चय दिलावें यह हमारा बादशाही हुक्म और मर्जी है कि न किसी को उसके मतके कारन पच्छकी जावे और न किसी को उसके कारन तकलीफ़ दी जावे बरन सब लोग बराबर एक ही तौर पर बिना पक्षपात कानून के बजिब रक्षो पावें और जो लोग कि हमारे तहत में इतियार रखते हैं हम उनको बड़ी ताकीद से हुक्म देते हैं कि वे हमारी किसी प्रजो के मतके निश्चय और पूजा में कभी कुछ दस्तन्दानी न करें नहीं तो उनपर हमारा अत्यन्त कोप होगा।

और यहभी हमारा हुक्म है कि जहां तक बन पड़े हमारी प्रजा को चाहे जिस मात और चाहे जिस मत की