सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:इन्दिरा.djvu/३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
पांचवीं बार की भूमिका।

---:::*:::---

इंदिरा क्यों बड़ी हुई?

इन्दिरा छोटी था, सा बड़ी हुई। इसे यदि कोई अपराध में गिनें तो उन ले हान्दा विनयपूर्वक निवेदन कर सकती है कि "योंही बहुतेरे छोटे बड़े हुआ करते हैं। भगवान इच्छा से नित्य ही जो छोटे हैं वे बड़े हुआ करते हैं। और राजा का भी यही काम देखने में आता है कि वह छोटे को बड़ा और बड़े को छोटा किया करता है। समाज को भी देखते हैं कि छोटे को बड़ा बना कर बड़ों को छोटा करता है तो फिर मैं भी जिस के अधीन हूँ, उसके जी में आया तो छोटी देख बाड़ी बना दिया। बस इस बात को अब कैफियत क्या दूं?"

तब इस दोष की बात यही है कि बड़े होने ही से दाम। बढ़ जाता है। देखो राजा, या समाज की कृपा से जो बड़े होते हैं वे बड़े होने पर भी अपना अपना मूल्य बढ़ा लेते हैं। यहां तक कि जो पुलिस के जमादार है, में एक ही रुपये घुस ले कर खुश हो जाते हैं, पर वे ही दारोगा होते ही दो रुपये मांगने लगते हैं। क्योंकि बड़े होने ही से उन का मूल्य भी बढ़ गया है।