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न्याय से सम्बन्ध

आज्ञा दीगई है।" 'Jus' की भी यही व्युत्पत्ति है। 'Recht' जिस से Right तथा Righetous शब्द बने हैं, क़ानून का समानार्थक है। फ्रैंच़ भाषा में La Justice क़ानूनी अदालत के लिये आता है। यही बात लैटिन तथा ग्रीक भाषाओं में है। हीब्रू लोग भी ईसा की उत्पत्ति के समय तक क़ानून के अनुसार बात ही को न्याय-संगत अर्थात् उचित मानते थे। ऐसा होना स्वाभाविक भी था क्योंकि हीब्रू लोगों के क़ानून सब विषयों से---जिन के सम्बंध में उपदेश की आवश्यकता है--संबंध रखते थे तथा उन लोगों का विचार था कि ये कानून ईश्वर की ओर से हैं। किन्तु अन्य जातियां और विशेषतया यूनानी और रोमन लोग, जिनका ख्य़ाल था कि क़ानूनों को आरम्भ में मनुष्यों ने बनाया था और अब भी मनुष्य ही बनाते हैं, यह बात स्वीकार करने में नहीं हिचकते थे कि यह भी सम्भव है कि क़ानून बनाने वाले मनुष्यों ने बुरे क़ानून बनाये हो। इस प्रकार सब क़ानूनों का उल्लंघन करना अनुचित नहीं समझा जाने लगा। केवल उन्हीं मौजूदा क़ानूनों का उल्लंघन करना अनुचित समझा जाने लगा जिन का होना उचित है। ऐसे क़ानूनों का उल्लंघन करना भी, जो हैं तो नहीं किन्तु जिनका होना उचित है, नामुनासिब समझा जाने लगा। ऐसे क़ानून भी, जो क़ानून होने योग्य नहीं समझे जाते थे, अनुचित समझे जाने लगे। इस प्रकार क़ानूनों के उचित तथा अनुचित की कसौटी न रहने पर भी न्याय के ख्य़ाल के साथ २ क़ानून का ख्य़ाल भी बराबर बना ही रहा।

यह बात ठीक है कि मनुष्य जाति न्याय या इन्साफ़ के ख्य़ाल को बहुत सी ऐसी बातों में भी व्यवहृत करती है जिनका