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पृष्ठ:उपयोगितावाद.djvu/१७

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फ़िलिप के विरुद्ध विद्रोह करने के समय से इङ्गलैण्ड के सिंहासन पर विलियम तृतीय के सिंहासनारूढ़ होने के समय तक का युनाइटेड प्राविन्सेज़ का इतिहास भी लिखा था। यह सब काम चार वर्ष में १४ वर्ष से कम की आयु ही में किया था। हमारे यहां के छात्रों को यह सुनकर अवश्य आश्चर्य होगा।

मिल के पिता ने उसको धर्मविषयक कोई ग्रन्थ नहीं पढ़ाया था क्योंकि उसका ईसाई धर्म के किसी भी ग्रन्थ पर विश्वास नहीं था। वह बहुधा कहा करता था-यह समझ में नहीं आता कि जिस सृष्टि में अपार दुःख भरे हुवे हैं उसे किसी सर्व शक्तिमान् तथा दयालु ईश्वर ने बनाया हो। लोग एक ईश्वर की कल्पना करके उसका पूजन केवल परम्परा के अनुसार चलने की आदत के कारण ही करते हैं, "हमको किसने बनाया?" इस प्रश्न का यथार्थ तथा युक्ति-सिद्ध उत्तर नहीं दिया जा सकता। यदि कहा जाय कि "ईश्वर ने" तो तत्काल ही दूसरा प्रश्न खड़ा हो जाता है कि "उस ईश्वर को किसने बनाया होगा?"

यद्यपि मिल के पिता ने मिल को धार्मिक शिक्षा देकर किसी मत का अनुयायी बनाने का प्रयत्न नहीं किया था किन्तु नैतिक शिक्षा देने में किसी प्रकार की कसर नहीं छोड़ी थी। न्याय पर चलना, सत्य बोलना, निष्कपट व्यवहार रखना आदि बातें मिल के हृत्पटल पर अच्छी तरह जमा दी थीं।

मिल पर अपने पिता की उत्कृष्ट शिक्षा का ऐसा अच्छा असर हुवा था कि कभी कभी मिल अपने पिता के विचारों तक में भूल निकाल देता था। किन्तु इस बात से उसका पिता रुष्ट नहीं होता था वरन् प्रसन्नतापूर्वक निस्संकोच अपनी भूलों को स्वीकार कर लेता था।