पृष्ठ:उपहार.djvu/११७

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करनी पड़ती है। क्या तुम्हें पर लिखने तक का प्रावकाश नहीं मिलता? अपने नए साथी के कारण तो मुझे नहीं मूली जा रही हो ? यदि ऐसा होगा तो भाई मेरे साथ पड़ा अन्याय होगा। पनों का उत्तर तो कम से कम दे दिया करो। चाची को प्रणाम कहना शौर श्रय पत्र देर से लिखा तो मैं भी नाराज हो जाऊंगा समझी।

तुम्हारा

अखिलेश

पर पढ़ कर विनोद स्तम्भित से रह गये। यह समझ न सके कि कब और कैसे अखिलेश की विमला से पहिचान हुई। दो सारा पहिले, सात साल तक अखिलेश ने उनके साथ ही पढा हे । उसने कभी भी विमला का जिक उनसे नहीं किया, और न विवाह के याद, श्राज तक विमला ने ही कुछ अखिलेश के विषय में उनसे कहा । और अय पन पाते हैं तो घिमला के मायके के पते से; पत्र की भाषा तो यही प्रकट करती है, कि जैसे दोनों बहुत दिनों से बहुत घनिए मिन के रूप में रहे हैं। ये गहरी चिन्ता में डूब गये, श्राज पहिली बार विमला उन्हें कुछ दोपी सी जान पड़ी, उसे विनोद से अखिलेश के विषय में सब कुछ कह देना चाहिए था। अखिलेश के प्रति भी श्राज विनोद के हृदय में एक प्रकार के ईर्षा जनित भाव जाग्रत हुए। फिर पत्र पढने के बाद यह अन्दर न जा सके। पत्र को जेब में रख कर चुप चाप, अपने घर चले श्राए। विमला ने विनोद की कुछ देर तक प्रतीक्षा की, जब वह अन्दर न गए, तब उसने श्राकर बैठक में देखा, वहाँ भी उन्हें न पाकर यह समझो कहीं गए होंगे, किन्तु जब लगातार दो घंटे तक विनोद न लौटे तो यह कुछ घवराई और अपनी मां को कार पर बैठ कर समुपल गई।