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चढ़ा-दिमाग़
शीला स्वभावतः कवि थी। वह कभी-कभी कहानियां भी लिखा करती थी। उसकी रचनाएं अनेक पत्रों में छपीं और उनकी खूब प्रशंसा हुई। साहित्य संसार ने उसे बहुत सम्मान दिया, और अंत में उसको सर्वश्रेष्ठ लेखिका होने के उपलक्ष्य में साहित्य-मंडल द्वारा सरस्वती-पारितोषिक दिया गया। अब क्या था, प्रत्येक समाचार-पत्र और मासिक पत्र में उसके सचित्र जीवन-चरित्र छपे और उसकी रचनाओं पर आलोचनात्मक लेख लिखे जाने लगे, जिनके कारण उसकी ख्याति और भी बढ़ गई। वह एक साधारण महिला से बहुत ऊपर पहुँच गई। उसको स्थान-स्थान से, कवि-समाजों से निमंत्रण आने लगे, वह अनेक साहित्यिक संस्थाओं की अध्यक्षा भी चुनी गई। मासिक-पत्र-पत्रिकाओं के कृपालु सम्पादकों ने उसकी