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पृष्ठ:उपहार.djvu/४०

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तुम्हें किसने राखी बांधी है, अखिल?

चुनी ने बांधी है और मैंने इसे एक रुपया दिया है, समों ?

वो तुम मुझसे राखी बंधवा लो अखिल भैया मुझे रुपयान देकर भठन्नी ही दे देना।

नहीं भाई, अनी की बात तो झूठी है। मेरे पास इकमी है, यह मैं तुम्हें दे दूँगा। पर क्या तुम्हारे पास राखी है ?

राखी तो नहीं है, कौन सा देगा मुझे?

तुम पैसे दोगी तो वह तो मैं ही ला_गा। यह तो कोई पड़ी पात नहीं है, पर विद्योगसी प्रकली नहीं बांधी जाती । राखी बांधने के बाद बहुत से फल-मेवा भौर मिठाई भी वो दी जाती है । वह तुम कहां से लायोगी

मिठाई मैं मां से माग लूगी और कुछ नीबू बगीचे से तोड़ टूगी, पर पैसे मेरे पास हो हो है, उसमें क्या रात्री मा जायगी?

दो पैसे में राखी और मिठाई मै दोनों ला इंगा, विनो' पत्र तुम मा से मिटाई न मांगो तब भी काम चल सकता है।"

(

पिवित्र ईर्ष्या)

x X X अन्त में निवेदन स्वरूप दो-चार यात मुझे कुमारी जी से अवश्य पहनी है,और वह यह कि वे अब अपनी कहानियों ग-वस्तु में चोर के चित्रण में, र भावुकता के थतिरिक मस्तिष्क और विचार को भी स्थान दें। फैशन श्री श्याम चरित्र चित्रण में मानव प्रकृति की अनेषरुपता प्रदर्शित