सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:उपहार.djvu/९५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

५७

किन्तु अय पहलवानो छूट गई, मलमल तनजेव के कुरते मैले दिखने लगे; सिर में तेल भी कहां से मिलता जब खाने के लिए घर में श्रन का दानाभीन रहता? विन्दो से पति का कष्ट देखा न गया और उसने एक दिन कंठी निकाल कर पति को बेचने के लिए दे दी। जवाहर बड़ी प्रसन्नता से कंठी को लेकर सराफे की ओर गया; किन्तु थोड़ी देर बाद उसने लौट फर निराशा से कहा-

'यह तो मुलम्मे को है"।

पिन्दो यह सुनकर, सर थाम कर, बैठ गई, मानो उस पर यज्ञ गिर पड़ा।