पृष्ठ:ऊर्म्मिला.pdf/२०२

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अम्मिला मेरे भाव-पुज तुम गतिमती स्थिरते, की प्रतिमे, करुणा के विगलित क्षण-सी, तुम उल्लास - रास-क्रीडा - सी, विलक्षण-सी, तुम मम विचलित नि श्वासो की- सतत समाधान तुम सनेह भरिते, सरिते, तुम- त्वरिते, करुणा-रस-निरते, तुम मम आराधना-परिधि की- केन्द्र-बिन्दु हो, चिर मृदुले, हास-विलास-पाश तुम मेरी, तुम विश्वास-व्यास, अतुले । वाणी, मेरी शुद्ध-बुद्धि तुम, रानी, ' तुम मम क्षमता कल्याणी, तुम सागर-गम्भीर-घोप-सी, उद्घोषित मेरी तुम निरलस तापस-रति मेरी, तुम मेरी सत् सक्रियता, त्वमसि चिरन्तन सेवा मेरी, तुम हो मम विराग-प्रियता, तुम हो जागरूकता मेरी- निद्रित-सम्मोहन-क्षण की, तुम हो मेरी सखा-सहेली, मेरे इस जीवन-रण की ।