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| जज के साथ पनि पुरी ॐ थे। सरकारी वकील ने अपना वक्त समाप्त करते हुए कहा—सूरी सज्जनों से मेरी प्रार्थना है कि अपना मत देते हुए में इस बात का ध्यान रखें कि मैं लोग इत्या जैसे एक भीषण अपराध पर अपना मत ३ रहे हैं। स्त्री, साजारातः मनुष्य मी दरार को अपनी ओर आकर्पित कर सकती है, फिर जर कि उसके साथ उसकी स्त्री जाति की मांग का प्रश्न भी न आता हे । तब यह बड़े साहस का काम है कि न्याय की पूरी राहायता हो । समाज में हृत्या का रोग बहुत जल्द ल्या सकता है, यदि अपराधी इस... |गज ने बक्तको समाप्त करने का सुन्त किया। सरकारी वकील ने केबलअच्छा सी आर लोग शान्त हृदय से अपराध का गुरुय विषारकर न्यायालय से न्याय करने में सह्मयता दीजिए ।-महकर वक्तव्य समाप्त किया। जज नै जुरियो को सम्बोधन करके कहा—सञ्जुनो, यह एव हुत्या कम अभिमग हैं, जिसमें नया नाम या मनुष्य वृन्दावन के समीप यमुना के किनारे मारा गया। इसमें तौ रादेह नहीं कि वह मारा गया--पटर का कहना है कि गला पीटने और पत्पर से सिर फोड़ने से उसकी मृत्यु हुई। गवाह रहे हैं जब इम लोगों ने दैया, तो मह यमुना उस मृत भ्यनि परे शुकी हुई थी; पर, गह कोई नही कहता कि मैंने उसे मारते देखा। यमुना की है कि स्त्री को भगवा नष्ट झनै जाकर नबाव मारा गया; पर सरकारी वकील का यह पहूची बिलपुण निरर्थना है कि उसने मारना स्योहार किया है। यमुना के बागो में यह अर्यं वदापि नहीं निकाला जा सकता । इस विशेष बात को समशः देना अाश्यक पा । गह, दूसरी बात है कि यह को अपनी मर्यादा वैः लिए या भर सकती है या नहीं, यद्यपि नियम इनके लिए बहुत स्पष्ट है। दिनार मारने के समय अप लोग इन बातों का ध्यान रखेगे । अब अप लोग एएनन्त में जा सकते हैं। । लोग एक कमरे में जा बैठे। यमुना निर्भीक होकर जन मन मुंह द्ध रही थी । न्यायालय में दर्शक बहूत थे। उस भीड़ में मंगल, निरंजन इत्यादि भी १० : प्रसाद याडगम