लड़के के समान मानता था, मगर ताज्जुब है कि......
सोम॰: इस बात का जवाब मैं दे सकता हूँ और निश्चय करा सकता हूँ कि नाहरसिंह ने कोई बुरा काम नहीं किया और बीरसिंह बिल्कुल बेकसूर है।
खड़ग॰: अगर नाहरसिंह और बीरसिंह की बेकसूरी साबित होगी तो हम बेशक उनके साथ कोई भारी सलूक करेंगे। सुनो सोमनाथ, राजा के खिलाफ यहाँ की रिआया तथा नाहरसिंह की अर्जियाँ पाकर महाराजा नेपाल ने खास इस बात की तहकीकात करने के लिए मुझे यहाँ भेजा है और मैं अपने मालिक का काम सच्चे दिल से धर्म के साथ किया चाहता हूँ। (बहादुरों की तरफ इशारा करके) ये लोग मुझे भली प्रकार जानते हैं और मुझ पर प्रेम रखते हैं, तभी मैं इन लोगों की गुप्त पंचायत में आ सका हूँ और ये लोग भी अपने दिल का हाल साफ-साफ मुझसे कहते हैं, हाँ बीरसिंह की बेकसूरी के बारे में तुम क्या कहा चाहते हो कहो?
सोम॰: बीरसिंह कौन है और आप लोगों को कहाँ तक उसकी इज्जत करनी चाहिए, यह फिर कभी कहूंगा, इस समय केवल उसकी बेकसूरी साबित करता हूँ। वीरसिंह ने महाराज के लड़के को नहीं मारा। यह महाराज ने जाल किया है। महाराज का लड़का अभी तक जीता-जागता मौजूद है, और महाराज ने उसे छिपा रक्खा है, मैं आपको अपने साथ ले जाकर राजकुमार को दिखा सकता हूँ।
खड़ग॰: हैं! राजा का लड़का सूरजसिंह जीता-जागता मौजूद है!!
सोम॰: जी हाँ।
खड़ग॰: ज्यादा नहीं, केवल एक इसी बात का विश्वास हो जाने से हम यहाँ के रिआया की दरखास्त सच्ची समझेंगे और राजा करनसिंह को गिरफ्तार करके नेपाल ले जायेंगे।
सोम॰: केवल यही नहीं, राजा ने बीरसिंह के कई रिश्तेदारों को मार डाला है जिसका खुलासा हाल सुन कर आप लोगों के रोंगटे खड़े होंगे। बेचारा बीरसिंह अभी तक चुपचाप बैठा है।
खड़ग॰: (तलवार के कब्जे पर हाथ रख के) अगर यह बात सही है तो हम लोग बीरसिंह का साथ देने के लिए इसी वक्त से तैयार हैं मगर नाहरसिंह को खुद हमारे सामने आना चाहिए।
इतना सुनते ही खड़गसिंह के साथ अन्य सरदारों और बहादुरों ने भी तलवारें म्यान से निकालीं और धर्म की साक्षी देकर कसम खाई कि हम लोग नाहर सिंह के