पृष्ठ:कपालकुण्डला.djvu/४४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
४१
प्रथम खण्ड
 

कर लेंगे। बेटी! अपनेको सन्तान समझ कर मेरी याद भुला न देना।”

अधिकारी यह देखते हुए रोकर विदा हुई। कपालकुण्डला भी रोती हुई आगे बढ़ी।