( २६ ) श्रीमान् वेस्कट कहते हैं- झांत यह होता है कि कवीर की शिक्षाएँ मौखिक थीं, और वे उनके पीछे लिखी गई। सब से पुराने ग्रंथ, जिनमें उनकी शिक्षाएँ लिखी गई, बीजक और आदि ग्रंथ हैं। यह भी संभव है कि इनमें से कोई पुस्तक कवीर के मरने से पचास वर्ष पीछे तक न लिखी गई हो। यह विचारना कठिन है कि वे ठीक उन्हीं शब्दों में लिखी गई हैं, जो कि गुरु के मुख से निकले हैं। और यह बात तो और भी कठिनता से मानी जा सकती है कि उनमें और शब्द नहीं मिला दिए गए हैं।" कवीर ऐड दी कवीर पंथ, पृ०४६ 'खास ग्रंथ' में निम्नलिखित इक्कीस छोटी बड़ी पुस्तकें हैं। १-सुखनिधान-इस ग्रंथ के रचयिता 'श्रुतगोपालदास' हैं। कबीर पंथ की द्वादश शाखाओं में से कबीरचौरा स्थान की शाखा के ये प्रवर्तक हैं। सुखनिधान समस्त ग्रंथों का कुंचिका स्वरूप, बोध-सुलभ और सुप्रसन्न शब्दों में लिखित है। पठदशा की चरमावस्था प्राप्त हुए विना किसी को इस ग्रंथ के पढ़ने की व्यवस्था नहीं दी जाती। इस ग्रंथ में ८ अध्याय हैं। और धर्मदास और कवीर साहब के प्रश्नोत्तर रूप में ब्रह्म, जीव, माया इत्यादि धार्मिक विषयों का इसमें निरूपण है। . २-गोरखनाथ की गोष्ठी-इस ग्रंथ में महात्मा गोरखनाथ के साथ कवीर साहव का धार्मिक वार्तालाप है। ३-कवीर पाँजी. ४-बलख की रमैनी, ५-आनंद राम सागर-ये साधारण ग्रंथ हैं। इनके विषय में कहीं कुछ विशेष लिखा नहीं मिला।
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