सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:कबीर वचनावली.djvu/४१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

५-जग्गूदास-कटक में इनकी गद्दी है और इनके शिष्य उसी ओर हैं। -जीवनदास-इन्होंने सचनाी संप्रदाय स्थापित किया । कोटवा, जिला गोंडा, में इनका स्थान है। इस स्थान के अधिकार में सात-आठ और गदियाँ हैं। ७-कमाल-ये बंबई नगर में रहते थे। इनके चेले योगी होते हैं। जनश्रुति है कि कमाल कवीर के पुत्र थे। कबीर साहव का निम्नलिखित दोहा स्वयं इसका प्रमाण है। वूड़ा वंश कवीर का उपजा पूत कमाल । हरि का सुमिरन छोड़ के घर ले आया माल ॥ आदि ग्रंथ, पृष्ट ७३८ ८ टकसाली यह बड़ौदा के निवासी थे और वहीं इनका मठ है। ९-ज्ञानी-यह सहसराम के निकटवर्ती मझनी ग्राम में रहते थे। इसी के आस पास उनकी कुछ शिष्य-मंडली है। १०-साहेवदास-ये कटक में रहते थे। इनके चेले चला आता है। इस समय इस शाखा के तेरहवें आचार्य श्री पं० दयानाम साहब गद्दी पर वर्तमान हैं। "इस शाखा में पूर्व निर्मित नियम के अनुसार आचार्य के ज्येष्ठ पुत्र के अतिरिक्त कोई दूसरा आचार्य पद नहीं पा सकता; इसलिये इसमें सबको एक ही आचार्य के अधीन रहना पड़ता है । कबीरपंथियों में इस समय इसी शाखा की प्रधानता है । इसके बरावर उन्नत (इस समय) कोई दूसरी शाखा नहीं है।" . (२) नारायणदास-धर्मदास के बड़े पुत्र थे, गुरु की अवज्ञा करने से पिता के द्वारा त्याज्य हुए थे तथापि उनका भी पंथ चलता है। पहले