२-भग्गूदास-इनके परंपरागत शिष्य धनौती नामक गाँव में रहते हैं। . ३-नारायणदास । ४-चूड़ामणिदास-ये दोनों धर्म- दास नामक एक वनिए के वेटे थे, जो कवीर साहब के एक प्रधान शिष्य थे। धर्मदास जबलपुर के पास बंधेो नामक एक गाँव में रहते थे। बहुत दिनों तक उनके वंश के लोग वहाँ के मठ के महंत होते रहे। परंतु नारायणदास के वंश में अब कोई न रहा। इधर चूड़ामणि-वंश के एक महंत ने एक कुचरित्रा स्त्री रख ला। इसलिये यह वंश भी अव गद्दी से उतार दिया गया । १-कबीर पंथ की द्वादश शाखाओं के विषय में यहां जो कुछ लिखा गया है, वह बंगाल के प्रसिद्ध विद्वान् अक्षयकुमार दत्त के ग्रंथ भारत- वीय उपासक संप्रदाय, ( देखो इस ग्रंथ का प्रथम भाग, पृष्ठ ६४, ६५, ६६ ) और प्रोफेसर वी. वी. राय के ग्रंथ 'संप्रदाया ( देखो पृष्ठ ७४, ७६, ७६ ) के आधार पर लिखा गया है । इन शाखाओं के विषय में मुझका एक लेख कबीरधर्मनगर, जिला रायपुर (मध्य प्रदेश) निवासी कबीरपंथी साधु युगलानंद विहारी का मिला है। उसको भी मैं नीचे अविकल उद्धृत करता हूँ- ___ "मध्यप्रदेश, बिहार, युक्तप्रांत, गुजरात और काठियावाड़ में कबीर- पंथियों की संख्या विशेष है। हां, पंजाब, महाराष्ट्र, मैसुर, मदरास इत्यादि प्रांतों में ये लोग थोड़े पाए जाते हैं । "इसमें अनेक शाखाएँ वर्तमान हैं, जिनमें धर्मदास के पुत्रों में से- (१) वचन चूड़ामणि के वंशज की शाखा ही प्रधान है। इस समय इनका मुख्य स्थान कबीरधर्मनगर, जिला रायपुर, सी. पी. में है। धर्म- दाम और कबीर के प्रश्नोत्तर में मिरे हुए ग्रयों में कालीबंगी के नाम जिस प्रकार लिये हैं, उन्हीं नामों से अब तक इस शाखा का क्रम रायर
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