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पृष्ठ:कर्बला.djvu/५०

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कर्बला

खून से सींचा जाय,रसूल की खेती रसूल की औलाद के खून से हरी हो,और मुझे उनके सामने सिर झुकाने के सिवा और कोई चारा नहीं।

नागरिक-या अमीर,हमें अपने कदमों से जुदा न कीजिए। हाय अमीर,हाय रसूल के बेटे,हम किसका मुँह देखकर जियेंगे ? हम क्योंकर सब करें,अगर आज न रोयें,तो फिर किस दिन के लिए आँसुत्रों को उठा रखें! से ज़्यादा मातम का और कौन दिन होगा ?

हुसैन-(मुहम्मद की कब्र पर जाकर) ऐ रसूल-खुदा,रुखसत। आपका नवासा मुसीबत में गिरफ्तार है। उसका बेड़ा पार कीजिए। सब लोग मुझे छोड़ के पहले ही सिधारे,मिलता नहीं आराम नवासे को तुम्हारे। खादिम को कोई अमन की अब जा नहीं मिलती; राहत कोई साइत मेरे मौला,नहीं मिलती। दुख कौन-सा और कौन-सी ईज़ा नहीं मिलती;हैं आप जहाँ,राह वह मुझको नहीं मिलती। दुनिया में मुझे कोई नहीं और ठिकाना;आज आखिरी रुखसत को गुलाम आया है नाना! बच जाऊँ जो पास अपने बुला लीजिए नाना,तुरबत में नवासे को छिपा लीजिए नाना!

[माई की कब्र पर जाकर]

सुन लीजिए शब्बीर की रुखसत है बिरादर;हज़रत को तो पहलू हुआ अम्मा का मयस्सर। कबे भी जुदा होंगी यहाँ अब तो हमारी; देखें हमें ले जाय कहाँ खाक हमारी। मैं नहीं चाहता कि मेरे साथ एक चिउँटी की भी जान खतरे में पड़े। हमारे अजीज़ों से,अपनी मस्तूरात से,अपने दोस्तों से यही सवाल है कि मेरे लिए ज़रा भी ग़म न करो,मैं वहीं जाता हूँ,जहाँ खुदा की मर्जी लिये जाती है।