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पृष्ठ:कला और आधुनिक प्रवृत्तियाँ.djvu/१००

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चित्रकला

 

भाव और कल्पना

आधुनिक चित्रकारों द्वारा रचित अधिकांश चित्र देखकर हमें ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने अब ऐसा चित्राङ्कन प्रारंभ कर दिया है, जिसके आधार-स्तम्भ केवल कुछ विचित्र भाव और कल्पनाएँ हैं। उन चित्रों को देखकर यह समझना कठिन हो जाता है कि उनमें प्रधान रूप में क्या चित्रित किया गया है। ऐसी स्थिति में लोग यह धारणा बना लेते हैं कि चित्रकार कुछ जानता नहीं, केवल वह हम लोगों को भ्रान्त करना चाहता है। पत्र-पत्रिकाओं में आज ऐसे अनेकों चित्र देखने को मिल रहे हैं। ऐसे चित्रों को हम काल्पनिक तथा मनोभावात्मक चित्र कह सकते हैं। इन सभी चित्रों में कल्पना का प्राधान्य रहता है। कभी-कभी तो इन चित्रों की कल्पनाएँ अलौकिक-सी ज्ञात होती हैं। चित्रकार कल्पना के पंखों से उड़कर एक ऐसे अलौकिक लोक में उतरता है, जहाँ वह भावस्रोत की मन्दाकिनी में डूबकर दिव्य तत्त्वों और तथ्यों को निकाल कर अभूतपूर्व नवीन सृष्टि का निर्माण करता है। आधुनिक चित्रकला भाव और कल्पना को मूर्तिमान् करने की कला है। कला-क्षेत्र में प्रकृति अनुकरण की जो धारा इतने दिनों से अजस्र-रूप से प्रवाहित हो रही है वह उचित कल्पना और भाव के अभाव से आज सूख गयी है। कल्पनोत्पन्न भावहीन-कला निम्न स्तर की कला समझी जाती है।

भाव और कल्पना की महत्ता तथा उपयोगिता कला के प्रत्येक विद्यार्थी के अध्ययन का विषय होना चाहिए। चित्रकला का विद्यार्थी अपने जीवन का सम्पूर्ण समय प्रकृति-प्रदत्त असंख्य आकारों तथा उसके रचना-रहस्य को समझने तथा उसका यथार्थ चित्रण करने में लगाये, तो यह कार्य कदापि समाप्त न होगा और न उसे आत्म-संतुष्टि ही होगी। प्रकृति का यथार्थ चित्रण असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है। प्रकृति का अनुकरण करना कला का उद्देश्य नहीं है। यदि हमें कला का विकास करना है, तो अपनी कल्पना की प्रखर प्रतिभा को पल्लवित करना होगा। तब हमें स्वतः सृजन का सामर्थ्य सुलभ हो जायगा, जिससे हमारी नवीन सृष्टि का श्रीगणेश होगा। इस नव अध्याय के खुलते ही हमारी कल्पना-शक्ति और उदात्त-भाव स्वयं विकसित हो उठेगे।

चित्रकार पचासों कार्यशैलियों का ज्ञाता होते हुए भी यदि मौलिक रचना नहीं कर सकता तो उसका सब ज्ञान व्यर्थ-सा ही है। कल्पना और भाव के धनी चित्रकार ही मौलिक रचना कर सकते हैं। कल्पना एक ऐसी शक्ति है जो मनुष्य को सृष्टि की ओर अग्रसर करती है। कल्पना से भाव उत्पन्न होते हैं और भावों से कला में प्राण संचारित हो जाते हैं।