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पृष्ठ:कला और आधुनिक प्रवृत्तियाँ.djvu/१०१

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और आधुनिक प्रवृत्तियाँ

कल्पना सुमन की सुवास है। कल्पना-शक्ति सभी मनुष्योंमें रहती है, किसी में कम, किसी में अधिक। मानवीय उन्नति चाहे वह कला के क्षेत्र की हो, या दर्शन या साहित्य अथवा विज्ञान की हो, सब कल्पना-शक्ति पर ही निर्भर है। विद्यार्थी कभी-कभी प्रश्न करते हैं कि उनमें कल्पना-शक्ति है या नहीं? हम यह विश्वास के साथ कह सकते हैं कि उनमें कल्पना-शक्ति है और प्रचुर मात्रा में है, चाहे वह प्रत्यक्ष दिखाई न पड़े। यह संभव है कि उनकी शक्ति का दुरुपयोग किया गया हो, क्योंकि कल्पना-शक्ति रचनात्मक और ध्वंसात्मक दोनों ही हो सकती है, परन्तु उसके अस्तित्व के सम्बन्ध में कोई संदेह नहीं हो सकता।

प्रकृति से हमें अनेकों अनमोल उपहार मिले हैं, किन्तु उनके सर्वांगीण आनन्द और लाभ-प्राप्ति के लिए हमें उनका उपयोग करना सीखना चाहिए। हमारा मस्तिष्क तथा हमारी इन्द्रियाँ प्रकृति की अनुपम भेंट हैं। इनके सदुपयोग से ही हमारा पूर्ण विकास सम्भव है। शरीर के साथ-साथ हमारे मस्तिष्क का विकास होता रहता है, किन्तु उसकी गुप्त शक्तियाँ इतनी पर्याप्त मात्रा में हैं कि कोई भी महत्तम व्यक्ति उसे पूर्ण विकसित करने में समर्थ न हो सका।

मनुष्य की कल्पना में जैसी विभिन्नता होती है, वैसी ही भावों में भी देखी जाती है, जो उचित प्रयोग से विकसित होती रहती है। जैसे नित्यप्रति के व्यायाम के अभ्यास से हमारी शक्ति धीरे-धीरे बढ़कर एक दिन इस सीमा तक पहुँच जाती है जिसे देखकर हम चकित हो जाते हैं। यही बात हमारे भावों के सम्बन्ध में भी लागू होती है। हमें अधिक या अल्प भावों से कार्यारम्भ कर देना चाहिए और निरन्तर खोज से उन्हें विकासोन्मुख करते रहना चाहिए। आप एक सामान्य भाव को लेकर उसमें अपनी पूरी शक्ति लगा दें। छोटे से छोटे भावपर अच्छी तरह विचार करें और उसमें प्राप्त होनेवाले प्रानन्द का अनुभव करें। यही ऊँचे भावों तक पहुँचने का रहस्य है।

भाव और कल्पना को विकसित करने के लिए मनुष्य का प्रथम कर्तव्य यह होना चाहिए कि वह स्वतः अनुभव और विश्वास करे कि उसमें कल्पना-शक्ति या भाव सन्निहित है, चाहे वह कितनी भी मात्रा में क्यों न हो। मनुष्य का दूसरा कर्त्तव्य यह है कि वह ऐसी धारणा उत्पन्न करे कि कल्पना-शक्ति बढ़ सकती है। उसका तीसरा काम यह है कि वह अपनी कल्पना-शक्ति को रचनात्मक कार्य में लगाये और उसका अन्तिम कर्तव्य यह है कि वह एक निश्चित योजना लेकर आगे बढ़े।

जब हम किसी वस्तु का निर्माण करना चाहते हैं तो हमें क्या बनाना है, इसका ठीक