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चित्रकला और रूपकारी

पश्चात् हम भी इसी प्रकार की रचना कर सकते हैं। प्रकृति के नियमों में पूरा गणितशास्त छिपा हुआ है। प्रकृति की प्रत्येक वस्तु की बनावट में एक भौमितीय सत्य या आधार है। यदि चित्रकार गणितशास्त्र से भी परिचित हो तो वह स्वयं इसका परीक्षण कर सकता है । संभवतः यही सत्य समझ कर पाश्चात्य प्रसिद्ध कलाकार माइकेल ऐंजेलो ने कहा था, "वह कलाकार नहीं जो गणित शास्त्र नहीं जानता।" और लियोनार्डो डा० विसी भी इसी बात की पुष्टि करता है । इन कलाकारों की कृतियों में जो इतनी सुन्दरता आ सकी है, इसका कारण यही है कि वे गणितशास्त्र के भी ज्ञाता थे। सामान्य कला साधकों से यह आशा नहीं की जा सकती कि वे इस पक्ष का भी पूर्णरूपेण चित्रकला में ज्ञान प्राप्त करें, परन्तु उनको इतना तो अवश्य समझ लेना चाहिए कि रूपकला में सरल गणित के चिह्नों का प्रयोग क्यों और कैसे होता है। सर्वप्रथम रूपकला में आकार को रेखाओं तथा भौमितिक रूपों से कैसे विभक्त करना चाहिए और उन आकारों में किम प्रकार संतुलन तथा सुमेल के साथ अन्य रूपों को बैठाना चाहिए, यह जानना नितान्त आवश्यक है।

डिज़ाइन या रूपकारी सच कहा जाय तो कला का मुख्य तत्त्व है या उसकी आधार- शिला है । आधुनिक कला ने इस तथ्य को पूर्णरूपेण ग्रहण किया है और आजकी कला का रूप स्वयं डिज़ाइन हो गया है ।