पृष्ठ:कला और आधुनिक प्रवृत्तियाँ.djvu/१७६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

आधुनिक सूक्ष्म चित्रकला

आज संसार भर में सूक्ष्म चित्रकला का प्रचार हो गया है। वर्तमान समय का शायद ही कोई चित्रकार हो जो इस नयी चेतना से प्रभावित न हुआ हो। भारतवर्ष में करीब-करीब सभी नये चित्रकारों का ध्यान इस ओर आकर्षित हुआ है। सूक्ष्म-चित्रकला इस सदी की एक बहुत ही प्रभावोत्पादक देन है। यह सच है कि साधारण मनुष्य इसका आनन्द लेने में असमर्थ हैं और इन्हें देखने पर नाक-भौं सिकोड़ता है। बात ठीक ही है। सूक्ष्म-चित्रकला से प्रभावित चित्रों की सींग-पूछ पहचानना बड़ा मुश्किल है, यहाँ तक कि यदि किसी चित्रकार से पूछा जाय तो वह भी उन्हें समझाने में असमर्थ सिद्ध होता है, क्योंकि बहुत से आधुनिक चित्रकार यूरोपीय 'एब्सट्रैक्ट आर्ट' (सूक्ष्म-चित्रकला) से प्रभावित होकर उसकी नकल करने लग गये हैं। न वे स्वयं वैसे चित्रों को समझते हैं, न समझा सकते हैं। बहुत हुआ तो वे जटिल भाषा में कुछ उलटे-सीधे शब्दों से समझाने की चेष्टाकर बात को और भी जटिल बना देते हैं। बात जहाँ की तहाँ रह जाती है। यही है आधुनिक सूक्ष्मवादी कला की दशा।

सूक्ष्म-चित्रकला एक रहस्यात्मक वस्तु के रूप में हमारे सम्मुख आयी है, क्योंकि जो बात समझ में नहीं पाती वह या तो पागलपन है या उसमें कोई रहस्य है। यही कारण है कि सूक्ष्मकला के प्रति लोगों की ऐसी आशंकाएँ हैं। पागलपन भी हो सकता है, और संसार के सभी चित्रकार धीरे-धीरे इसी पागलपन के शिकार होते जा रहे हैं— भारत ऐसे पिछड़े देश के भी चित्रकार। जैसे पागलपन की एक आँधी आ गयी हो, पर समझ में नहीं आता कि इस आँधी का प्रभाव चित्रकारों पर ही क्यों पड़ रहा है? वैसे साहित्य में भी इसका प्रभाव है, पर उतना नहीं। यह भी एक रहस्य है। क्या आपने इस पर कभी विचार किया है? कीजिए।

यह विज्ञान का युग है। विज्ञान का प्रभाव हमारे आज के जीवन में पग-पग पर दृष्टिगोचर हो रहा है। विज्ञान की देन से हम सभी लाभ उठा रहे हैं और हानि भी। एक ओर विज्ञान ने हमें रेलगाड़ी, टेलीफोन, बेतार का तार, रेडियो, मोटर, हवाई जहाज, और