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कला और आधुनिक प्रवृत्तियाँ

आज इस बीसवीं शताब्दी में आकर चित्रकला को धर्म की सेवा से छुटकारा मिलता दृष्टिगोचर होता है । परंतु आधुनिक यूरोपियन कला धर्म से प्रभावित न होते हुए भी विज्ञान से अधिकाधिक प्रभावित हुई और उसका असर कुछ अंश में भारत की चित्रकला पर भी पड़ा । धर्म की सेवा छोड़कर कला ने विज्ञान की सेवा करना प्रारम्भ किया, परन्तु बहुत थोडे ही समय में कला ने विज्ञान को भी झटका दे दिया । आधुनिक कला ने वैज्ञानिक सत्यों को भी ताक पर रखना प्रारम्भ कर दिया है और कला स्वयं एक धर्म बन गयी है । जिस प्रकार धर्म तथा विज्ञान मनुष्य के जीवन को सुखी और आनन्दमय बनाना चाहते हैं, उसी प्रकार अब कला स्वयं यही कार्य करने को उद्यत है । कला अब दूसरे का सहारा नहीं लेना चाहती बल्कि स्वयं शक्तिशाली बनना चाहती है । कला स्वयं एक धर्म है । धर्म का युग बीता, विज्ञान का युग बीत रहा है और कला का युग सामने है । धर्म के प्रभाव पर और विज्ञान के प्रभाव पर हमने संसार को अवनति की ओर जाते समझा । विज्ञान के युग का लाभ उठाकर हमने उसे भी देख लिया, अब कला के युग की आशा है । क्या विज्ञान के प्रभाव को कम होते देखकर कला के युग की ओर जाते हए भी हम कह सकेंगे कि हम अवनति की ओर जा रहे हैं ? शायद नहीं। इसलिए अब हमें धर्म और विज्ञान के झंझटों या झगड़ों में नहीं पड़ना है । बल्कि इस नये युग कला-युग की कामना करनी है, जो हमारे सम्मुख जीवन का एक नया और उज्ज्वल मार्ग रखता है और मंगल भविष्य की कामना करता है । हम अवनति की ओर नहीं, प्रगति की ओर जा रहे हैं ।