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पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१८२

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मालिक मुहम्मद जायसी
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कथा दोहे चौपाई में है। मुसलमान होने पर भी प्रसंग के अनुसार हिन्दू देवताओं के प्रति भक्ति का वर्णन करने में जायसी ने बड़ी उदार हृदयता का परिचय दिया है। एक मुसलमान के द्वारा हिन्दी भाषा की ऐसी सेवा होनी बड़े हर्ष की बात है।

हिजरी सन् ९२७ में पद्मावत लिखी गई। अखरावट पद्मावत के बाद बना। अखरावट में क से लेकर प्रायः सभी अक्षरों पर कविता की गई है। इसमें ईश्वर की स्तुति और संसार की असारता बतलाई गई है।

पद्मावत की कविता का कुछ नमूना हम आगे प्रस्तुत करते हैं—


 

राजा का स्वर्गवास

तौलहि श्वास पेट महँ अही जौलहि दशा जीउकी रही
काल आर देखलाई साँटी उठ जिय चला छाँड़के माटी
काकर लोग कुडुम घर बारू काकर अर्थ द्रव्यै संसारू
बही घड़ी सब भयौ परावा आपन सोइ जो परसा खावा
रहि जे हितू साथ के नेगी सबै लागि काढून तेहि बेगी
हाथझार जस चलै जुवारी तजा राज ह्वै चला भिखारी
जब लग जीउ रतन सब काहा भा बिन जीव न कौड़ी लाहा

गढ़सौंपा तेहिँ बादल गये टेकत बसुदेव।
छोड़ी राम अयौध्या जो भावै सो लेव॥

पद्मावति पुनि पहिर पटोरा चली साथ पियसोके ह्वै जोरा
सूरज छिपा रथनि ह्वै गई पूनो शशि सो अमावस भई
छोरे केश मोति लट छूटी जानो रयनि नखत सब टूटी
सेंदुर परा जो शीस उधारी आग लाग यहि जग अँधियारी