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पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/२०९

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कविता-कौमुदी
 

 

बलभद्र मिश्र

लभद्र मिश्र सनाढ्य ब्राह्मण ओड़छा निवासी पंडित काशीनाथ के पुत्र और प्रसिद्ध कवि केशवदास के बड़े भाई थे। केशवदास ने अपनी कवि प्रिया में इनका नाम लिखा है।

इनका जन्मकाल सं॰ १६०० वि॰ के लगभग माना जाता है। इनके रचे हुये नखशिख, भागवत भाष्य, बलभद्री व्याकरण, हनुमन्नाटक टीका, गौबर्द्धन सतसई टीका और दूषण विचार आदि ग्रंथ कहे जाते हैं। इनमें से नखशिख और दूषण विचार आदि दो तीन ग्रंथों के सिवाय अन्य ग्रंथ अभी तक नहीं मिले हैं। अब तक इनकी जितनी कविताएँ मिलीं, उनके देखने से ये बड़े अच्छे कवि जान पड़ते हैं। नमूने के तौर पर इनके कुछ छंद नीचे लिखे जाते हैं:—

पाटल नयन कोकनद के से दल दोऊ
बलभद्र बासर उनीदी लखी बाल मैं।
शोभा के सरोवर में बाड़व की आभा कैधौं
देवधुनि भारती मिली है पुन्य काल मैं॥
काम कैबरत कैधौं नासिका उडुप बैठ्यो
खेलत सिकार तरुनी के मुख ताल मैं।
लोचन सितासित मैं लोहित लकीर मानो
बाँधे जुग मीन लाल रेसम के जाल मैं॥१॥
भरकत सूत कैधों पन्नग के पूत अति
राजत अभूत तमराज कैसे तार हैं।
मखतूल गुन ग्राम सोभित सरस श्याम
काम मृग कानन कै कोहू के कुमार हैं॥