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हिन्दी भाषा का संक्षिप्त इतिहास
भाषा

हृदय एक पुष्प है, भाषा उसका विकास है और भाव गन्ध हैं।

हृदय एक वाद्य यन्त्र है, रसना रीड है, इच्छा उँगली है और भाषा झंकार है।

भाषा से देश जाना जाता है। हम देश के जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश के संक्षिप्त रूप हैं। हम स्वयं देश हैं। भाषा हमारी कीर्ति हैं।

भाषा हमारी कीर्ति है, कीर्ति ही हमारा जीवन हैं, जीवन ही हमारी मनुष्यता है, और मनुष्यता ही से हम जीवित हैं।

विचार भाषा का पुत्र हैं, कार्य पौत्र है, और सम्मति कन्या है, जो प्रदान की जाती है, और दूसरे घर में जाकर वृद्धि पाती है।

प्रत्येक पूरी बात को वाक्य कहते हैं। प्रत्येक वाक्य शब्दों का समूह है। प्रत्येक शब्द एक सार्थक ध्वनि है। भाषा का समूह है।

चार पैर, पूँछ, सींग आदि अंगों से युक्त एक पशु विशेष का नाम हमने गाय रख लिया है। गाय शब्द और गाय पशु से कोई साक्षात् सम्बन्ध नहीं; परन्तु गाय शब्द के उच्चारण से गाय पशु का बोध तत्काल हो जाता है।

यदि हमने सब पशुओं और सब क्रियाओं का नाम न रख लिया होता तो अपने मनोगत भावों के प्रकट करने में