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पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/२४३

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कविता-कौमुदी
 

पीथल पली टमुक्तियाँ बहुली लागी खोड़।
मरवण मत्त गयंत्र ज्यों ऊभी मुषख मरोड़॥
यह सुना कर चम्पादे ने पृथ्वीराज के मन की ग्लानि

मिटाने के लिये कहा—

प्यारी कहे पीथल सुनो धोलाँ दिस मत जाय।
नरौं, नाहराँ, डिगमरों पाकाँही सर होय॥
खेड़ज पक्कों धोरियाँ पंथज गउघाँ पाव।
नराँ तुरंगा बन फलाँ पक्काँ साव॥

इसी प्रकार इन दोनों, राजा रानी, का जीवन बड़े आनंद से बीता।

 

उसमान

मान सभान गाजीपुर के रहने वाले थे। इन के पिता का नाम शेख हसन था। ये जहाँगीर बादशाह के समय में हुये। संवत् १६७० में इन्होंने 'चित्रावली' नाम की एक प्रेम कहानी लिखी, जो दोहा चौपाइयों में है। सुनते हैं, इन्होंने और भी कुछ ग्रन्थ लिखे हैं। इनके जन्म मरण के समय का ठीक ठीक पता नहीं चलता। चित्रावली की कथा बड़ी मनोहर है। उस में चित्रावली की बाटिका का वर्णन, उसका नखसिख, विरह, षटऋतु और बारह मासा आदि देखने योग्य है। कुँवर ढूँढ़न खंड में कवि ने कितने ही देशों और प्रदेशों का वर्णन किया है। सब से अचम्भे की बात तो यह है कि कवि ने उसमें अँगरेजों का भी वर्णन किया है। ईस्ट इंडिया कम्पनी ने सन १६१२ में सूरत में अपना