सुखदेव मिश्र
सुखदेव मिश्र कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे। इनका समय अनुमान से सं॰ १७७७ के लगभग माना जाता है। ये कम्पिला के रहने वाले थे, और उसी नगर में इनका विवाह भु हुआ था। इनके वंशधर अब भी दौलतपुर, जिला रायबरेली में वर्तमान हैं। स्वरचित वृत्त विचार नामक ग्रंथ में इन्होंने अपने जन्म स्थान कम्पिला का और अपने पूर्वजों का विस्तृत वर्णन लिखा है।
कुछ दिन तक कम्पिला में विद्याध्ययन करने के बाद ये काशी चले गये और वहाँ एक सन्यासी से साहित्य पढ़ने लगे। वहाँ से संस्कृत और भाषा साहित्य के पूर्ण विद्वान् होकर ये असोथर जि॰ फतेपुर के राजा भगवंतराय खींची के यहाँ चले गये। वहाँ इनका बड़ा सम्मान हुआ। वहाँ कुछ दिन रहने के बाद ये क्रमशः औरंगज़ेब के मंत्री फ़ाज़िल अली, अमेठी के राज (हिम्मत सिंह, मुरारिमऊ के राजा देवीसिंह के यहाँ गये और सर्वत्र इन्होंने पूरा सन्मान पाया। राजा देवीसिंह के कहने से ही ये कम्पिला छोड़ कर सकुटुम्ब दौलतपुर में आ गये।
इन्होंने निम्न लिखित ग्रन्थों को रचना की है:—
वृत्त विचार, छन्द विचार, फ़ाज़िल अली प्रकाश, रसार्णव, शृंगारलता, अध्यात्म प्रकाश, दशरथ राय और नखशिख। वृत्त विचार और छंद विचार पिंगल के ग्रंथ है। मिश्र जी ने संस्कृत और प्राकृत में भी कविताएँ रची थीं, परंतु अब उनका कहीँ पता नहीं चलता।