पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/६२

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चन्द बरदाई पदमावतीहि कुंवरी पद्धरी सँघल, दुज कथा कहत सुनि सुनि सुवन्त ॥ १६ ॥ हिंदवान थान उत्तम सुदेश, तह उदत दुग्ग दिल्ली सुदेस ॥ १७ ॥ संभरि नरेस चहुआन थान, प्रथिराज तहाँ राजत भान ॥ १८ ॥ बैसह बरीस षोड़स नरिंद्र, आजान बाहु भुअ लोक यंद ॥ १६ ॥ संभरि नरेस सोमेस पूत, देवंत रूप अवतार धूत सामंत सूर सब्बै अपार, भूजान भीम जिम सार जिहि पकरि साह साहाब लीन, तिहुँ बेर करिय पानीप हीन ॥ २० ॥ भार ॥ २१ ॥ ॥ २२ ॥ सिंगिनि सुसद्द गुन चढ़ि जंजीर, न सबद बेधंत तीर ॥ २३ ॥ बल बैन करन जिमि दान पान, सतसहस सील हरिचंद समान ॥ २४ ॥ साहस सुक्रम विक्रम जुवीर, दानव सुमन्त अवतार धीर ॥ २५ ॥ दिस प्यार जानि सब कला भूप, जानि अवतार रूप ॥ २६ ॥