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पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/२०६

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चौथा अर्थ

राजा अमरसिह पक्ष

जो दानवो के बैरी देवताओ को यज्ञ, ( पूजा-पाठ आदि से ) सुख देते है और नीच पुरुषो के अनुकूल नहीं चलते। धनुष की डोरी खींचते समय बहुत ही अच्छे लगते है। जो नर-देव ( ब्राह्मणो ) के लिए क्षयकर ( हानि पहुँचाने वाले ) कर्म ( कार्य ) है, उन्हे हर लेते है अर्थात् उनको हानि करने वाले कार्यों को नहीं होने देते। 'केशव' कहते हैं कि जो खरदूषण को मारने वाले श्री रामचन्द्र के दाम है। जो नाग-धर ( हाथियो को पकड़ने वाले ) भीलो को प्रिय मानते है। अपनी माता को सुख देने वाले है। प्रजा को भाई के समान सहायता देने वाले तथा नवल गुणो से भूषित है , जिनकी सभी प्रशसा करते हैं। ऐसे राजा अमरसिह है जो मेरे मन को अच्छे लगते है।

पाँच अर्थ का श्लेष

कवित्त

भावत परम हस, जात गुण सुनि सुख,
पावत सगीत मीत विबुध बखानिये।
सुखद राकति घर समर सनेही बहु,
बदन विदित यश 'केशौदास' गानिये।
राजै द्विज राज पद भूपन विमल कम--
लासन प्रकास परदार प्रिय मानिये।
ऐसे लोकनाथ के त्रिलोकनाथ नाथ नाथ,
कैधौ रघुनाथ के अमरसिह जानिये॥२३॥

पहला अर्थ

ब्रह्मा जी के पक्ष मे

जिन्हे परम अर्थात् श्रीनारायण भगवान् अच्छे लगते है तथा जिन्हे हस प्रिय है ( क्योकि उनका वाहन है) और जो जात अर्थात्