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पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/२४०

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बारहवाँ प्रभाव

२१---उक्ति अलंकार

दोहा

बुद्धि विबेक अनेक विवि उपजत तर्क अपार।
तासो कविकुल युक्ति कहि, बरणत बिविध प्रकार॥१॥

बुद्धि और विवेक आदि के बल पर जहाँ अनेक तर्क उपस्थित किए जा सके, वहाँ कविगण उसे 'युक्ति' अलंकार कहकर अनेक प्रकार से वर्णन करते है।

'युक्त' अलङ्कार के भेद

दोहा

वक्र अन्य व्यधिकरण कहि, और विशेष समान।
सहित सहोकति मे कही, उक्ति सुपंच प्रमान॥२॥

वक्रोक्ति अन्योक्ति, व्याधिकरणोक्ति, विशेषोक्ति और सहोक्ति ये पाँच भेद उक्ति अलंकार के कहे गये है।

१---वक्रोक्ति

दोहा

केशव सूधी बात मे, बरणत टेढो भाव।
वक्रोक्ति तासो कहत, सदा सबै कविराव॥३॥

'केशवदास' कहते है कि जहाँ सीधी-सरल बात मे टेढे अथवा गूढ भाव प्रकट किए जाते है, वहाँ सभी कवि लोग 'वक्रोक्ति' कहा करते है।